Added by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 12:00pm — 13 Comments
दास्ताँ इक तुम्हे सुनानी है
आज पीने को मय पुरानी है
मेरी आँखों में सूनापन सा है
सूनेपन की कोई कहानी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2013 at 4:30pm — 14 Comments
जिंदा है आदमी यहाँ उम्मीदों के सहारे
मझधार फंसी कश्ती भी लगती है किनारे
देखे नहीं गए हैं कभी मुझसे दोस्तों
यारों की आँखों बहते हुए अश्कों के धारे
पागल भी, शराबी भी, दीवाना…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 6, 2013 at 12:27pm — 11 Comments
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