221 2121 1221 212
ताज़ा लहू के सुर्ख़ निशाँ छोड़ आया हूँ
हर गाम एक किस्सा रवाँ छोड़ आया हूँ
वो रोज़ था, मुझे न मयस्सर ज़मीं हुई
ये हाल है कि अब मैं जहाँ छोड़ आया हूँ
परदेस में लगे न मेरा मन किसी तरह
बच्चों के पास मैं दिलो-जाँ छोड़ आया हूँ
उड़ती हुई वो ख़ाक हवाओं में सिम्त-सिम्त
जलता हुआ दयार धुआँ छोड़ आया हूँ दयार= मकान
मौजूदगी को मेरी तरसते थे रास्ते
चलते हुये उन्हें…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on June 29, 2014 at 11:59am — 24 Comments
1212 1122 1212 22
हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो
हरेक लफ़्ज़ अभी अश्क़ से है नम यारो
है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी
चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो
इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ
ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो
लिबास ही से न होगा कभी नुमायाँ सच
सफ़ेदपोश तो लगते हैं मुह्तरम यारो
रहा न बस कोई तहरीर पर किसी का अब
चलाना भूल गईं उँगलियाँ क़लम यारो
मैं रफ़्ता-…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on June 23, 2014 at 10:13am — 21 Comments
2122/ 2122/ 212
ये नुमायाँ है किसे क्या चाहिये
बेख़िरद को सिर्फ़ चेहरा चाहिये बेख़िरद =कम अक्ल
हो गया है ताज़िरों का ये वतन ताज़िर=व्यापारी
खुश हुये वो जिनको वादा चाहिये
बच तो आयें लहरों से अहले जिगर
बस उन्हें कोई किनारा चाहिये
तख़्त पर जिसने बिठाया उनका कर्ज़
जानो दिल से अब चुकाना चाहिये
आप भी हँस लीजिये इस बात पर
झूठे को अब काम सच्चा…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on June 17, 2014 at 9:59pm — 23 Comments
2122/ 2122/ 212
मेरा ग़म लगता है हमसाया मुझे
जीने का फन ग़म ने सिखलाया मुझे
ये हवा मेरे मुताबिक तो नहीं
कौन तेरे शह्र में लाया मुझे
मुश्किलों में सिर्फ मेरी जाँ नहीं
खौफ़ में हर इक नज़र आया मुझे
हौसला, हिम्मत, दुआएँ, दोस्ती
तज़्रिबे ने बख़्शा सरमाया मुझे
धूप की शिद्दत बहुत थी राह में
माँ के आँचल से मिली छाया मुझे
कौन सा मैं रंग दूँ तुझको ग़ज़ल
ज़ीस्त के रंगों ने…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on June 15, 2014 at 8:00am — 6 Comments
2122 1212 22/112
मुल्क़ में किस्सा इक नया तो हो
अब अज़ीयत की इंतिहा तो हो अज़ीयत =यातना
ग़म से किसको मिली नजात यहाँ
मर्ज़ कहते हो फिर दवा तो हो
जी उठेगा फिर अपनी राख से पर
वो मुकम्मल अभी जला तो हो
दीनो-ईमाँ की बात करते हैं
हो हरम दिल में बुतकदा तो हो हरम =मस्जिद, बुतकदा =मंदिर
ज़ह्र अपनी ज़बान से छूकर
कह रहे हैं कि तज़्रिबा तो…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on June 4, 2014 at 9:32pm — 24 Comments
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