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Rahul Dangi Panchal's Blog – June 2015 Archive (3)

गजल--मेरी किस्मत के पन्नों में कोई हरकत नहीं दिखती।

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

बहुत दिन हो गये अब भी कहीं राहत नहीं दिखती।

मे'री किस्मत के' पन्नों में को'ई हरकत नहीं दिखती।।

***

सभी मन्दिर में' मस्जिद,चर्च में दिल ले के' भटका हूँ।

किसी मजहब में' दुनिया के मुझे कुदरत नहीं दिखती।।

***

ते'री फुरकत के' तीरों ने किया हैं आश तक घायल।

मुझे अफसोस है तुझको मे'री हालत नहीं दिखती।।

***

सनम इक जख़्म रो रो कर बडी जिद करता' है मुझसे।

कहाँ से ला के' दूँ तुझको इसे गुरबत नहीं दिखती।।

***

हमारी जे़ब में… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on June 26, 2015 at 9:30pm — 18 Comments

गजल---दिल है जो तेरा आशिक उसकी खता नहीं है ।।

२२१ २१२२ २२१ २१२२



हूँ जो नशे में धुत मैं मय का नशा नहीं है।

यह इब्तिदा-ए-उल्फत है इन्तिहा नहीं है ।।



किस ओर जाके खोले बोतल शराब की ये।

उनकी गली से अब तक हम आशना नहीं है ।।



ऐसा करूं मैं क्या जो तू खुद गले लगा ले।

तू ही बता दे मुझको, मुझको पता नहीं है ।।



है मय ये तेरी आँखें सावन है तेरी जुल्फे।

दिल है जो तेरा आशिक उसकी खता नहीं है ।।



हर रोज सोचता हूँ कह दूँ मैं आज उनसे।

अब प्यार तो बहुत है पर हौसला नहीं है… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on June 17, 2015 at 11:00pm — 18 Comments

गजल-सुख की भी दोस्त गम सी तासीर बन गयी है।

221 2122 221 2122



नाकामयाबी मेरी तकदीर बन गयी है।

अब जिन्दगी ये गम की तस्वीर बन गयी है।।



मरहम समय का भी कुछ आराम दे न पाया।

ये चोट अब जिगर की जागीर बन गयी है।।



उलझी पडी है उल्फत की बेडियों में साँसें।

यादों से मिल के धडकन भी तीर बन गयी है।।



सुनती है गर कहीं तू इक बार आ के मिल ले।

रो रो के मेरी हालत गम्भीर बन गयी है।।



हँसता हुँ तब भी चहरा छोडें नहीं उदासी।

सुख की भी दोस्त गम सी तासीर बन गयी है।।



आँखों ने… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on June 16, 2015 at 7:30pm — 26 Comments

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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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