हमें वो वेवफा कह कर बुलाते है सितम देखो
चुरा कर नीद रातो की सताते है सितम देखो
कभी मै देखता भी तो नहीं था जाम के प्याले
कसम दे कर मुझे अपनी पिलाते है सितम देखो
बडे अरमान से जिसने बनाया आशिया मेरा
वही उस आशिये को अब जलाते है सितम देखो
न रूठे वो कभी हमसे हमारे साथ चलते थे
मगर अब साथ गैरो का निभाते है सितम देखो
खुले जो लब कभी जिनके हमारा नाम ही निकले
न जाने क्यो वही हमको भुलाते है सितम देखो
मौलिक व…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 30, 2014 at 8:00am — 19 Comments
1222 1222 1222 122
हमारे प्यार को वो अब निभाती भी नहीं है
जलाये क्यों हमारा दिल बताती भी नहीं है
लिखा जो गीत उसने वेवफाई पे हमारी
कभी वह गीत हमको तो सुनाती भी नहीं है
बनाया था महल मैनें कभी उनके लिये जो
पड़ा है आज भी सूना जलाती भी नहीं है
बड़े अरमान थे उनसे सजाये जिन्दगी में
मगर उनको कभी अब वो सजाती भी नहीं है
करें किससे शिकायत जिन्दगी की हम बताओ
कभी भी प्यार से मुझको बुलाती भी नहीं है
मौलिक व अप्रकाशित अखंड…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 16, 2014 at 2:09pm — 17 Comments
1222 1222 1222 1222
किसी की याद रातो मे हमें सोने नहीं देती
कसम उसने दिया था जो हमे रोने नहीं देती
चली थी साथ मेरे जो कभी इक हमसफर बन कर
न जाने पास अपने क्यों हमें होने नहीं देती
सिखाया था हमें जिसने जमाने में रहें कैसे
वही अब प्यार भी हमको वहाँ बोने नहीं देती
नहीं है प्यार मुझसे अब मगर नफरत जरा देखो
किसी को लाश भी मेरी वो अब ढोने नहीं देती
हमारे गीत में छुपकर हमेशा जो चली आती
बने आवाज दिल की वो हमें खोने…
Added by Akhand Gahmari on June 15, 2014 at 1:30am — 5 Comments
सोचते ही रहे खेत जोता नहीं
प्यार के फूल क्यों कोई बोता नहीं
लुट गई देख अबला कि अस्मत यहाँ
शर्म से कोई आँखे भिगोता नहीं
तोड़ कर कोई जाता न दिल प्यार में
साथ अपनो का अब कोई खोता नहीं
सोच हैरान क्यों रोज इज्जत लुटे
चैन की नी़ंद क्यो़ं कोई सोता नहीं
क्या भरोसा करें हम किसी का सनम
आदमी आदमी का ही होता नहीं
बात में बात सबकी मिलाता रहूँ
आदमी हूँ सनम कोई तोता नहीं
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 7, 2014 at 6:30pm — 3 Comments
2122 2122 2122
मत कहो आकाश में कुहरा धना है
जाल धुमते बादलो ने बस बुना है
धूप की चादर अभी फैली फिजा में
चाँदनी को चाँद से मिलना मना है
भूल से भी हम न तड़़पाये तुझे थे
दे गवाही आज वो तेरा अना है
फूल भी रोने लगे तब से चमन में
रौद देगा माली ही जब से सुना है
नींद भी तब से नहीं आती किसी को
आदमी शैतान ही जब से बना है
आज ये सुन शर्म खुद रोने लगा क्यों
औरतो ने राह पर बच्चा जना है
मौलिक एवं…
Added by Akhand Gahmari on June 1, 2014 at 1:00am — 13 Comments
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