मेरे घर की आग में,,सेंक रहा है हाथ
दूत बने शैतान के , देता उनका साथ
देता उनका साथ ,लगा मति पर है ताला
ड्रेगन धुन पर नाच ,करे होकर बेताला
जग पर जाहिर आज ,सभी मंसूबे तेरे
छोड़ लगाना आग ,बाज आ भाई मेरे
छोड़ें ढुलमुल रीत को ,अब उँगली लें मोड़
रोग पुराना हो रहा ,खोजें दूजा तोड़
खोजें दूजा तोड़ ,नहीं अब मीठी गोली
बातें जफ्फी खूब ,खूब समझाइश हो ली
हमको सकता बाँट ,ख़्वाब उसका ये तोड़ें
सच में हों गंभीर ,महज…
ContinueAdded by pratibha pande on July 21, 2016 at 12:30pm — 22 Comments
अगला कदम उठाते ही उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे सैकड़ों टन का भार उसके पैरों पर रखा हो, वह लड़खड़ा उठा और उसने अपने साथी के कंधे का सहारा लिया, लेकिन साथी भी बहुत थका हुआ था, वह डगमगा गया, बर्फ के पर्वत पर चढ़ते हुए सेना के उन दोनों जवानों ने तुरंत एक-दूसरे को थाम लिया|
उसके साथी ने उसकी बांह को जोर से पकड़ते हुए कहा, "सोलह घंटों से चल रहे हैं, अब तो पैर उठाने की ताकत भी नहीं बची..."
"लेकिन चलना तो है ही...", उसने उत्तर दिया
"क्यों न कुछ खा लिया जाये?"…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 19, 2016 at 12:30pm — 22 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
जब छीनने छुडाने के साधन नए मिले
हर मोड़ पर कई-कई सज्जन नए मिले
कुछ दूर तक गई भी न थी राह मुड़ गई
जिस राह पर फूलों भरे गुलशन नए मिले
काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था
उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले
जितने भी काटता गया जीवन के फंद वो
उतने ही जिंदगी उसे बंधन नए मिले
अपनों से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी
गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 2:00pm — 19 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 17, 2016 at 12:00pm — 4 Comments
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 17, 2016 at 1:56am — 12 Comments
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