22 22 22 22 22 2
भीड़ बहुत है अब तेरे मैख़ाने में ।।
लग जाते हैं दाग़ सँभल कर जाने में ।।1
महफ़िल में चर्चा है उसकी फ़ितरत पर ।
दर्द लिखा है क्यों उसने अफ़साने में ।।2
इस बस्ती में मुझको तन्हा मत छोडो ।
लुट जाते हैं लोग यहाँ वीराने में ।।3
वह भी अब रहता है खोया खोया सा ।
कुछ तो देखा है उसने दीवाने में ।।4
होश गवांकर लौटा हूँ मैख़ानों से।
जब उभरा है अक्स तेरा…
Added by Naveen Mani Tripathi on July 28, 2018 at 10:50pm — 13 Comments
लुट गयी कैसे रियासत सोचिये ।
हर तरफ़ होती फ़ज़ीहत सोचिये ।।
कुछ यकीं कर चुन लिया था आपको ।
क्यों हुई इतनी अदावत सोचिये ।।
नोट बंदी पर बहुत हल्ला रहा ।
अब कमीशन में तिज़ारत सोचिये ।।
उम्र भर पढ़कर पकौड़ा बेचना ।
दे गए कैसी नसीहत सोचिये ।।
गैर मज़हब को मिटा दें मुल्क से ।
आपकी बढ़ती हिमाक़त सोचिये ।
दाम पर बिकने लगी है मीडिया ।
आ गयी है सच पे आफत सोचिये ।।
आज गंगा फिर यहां रोती मिली ।
आप भी अपनी लियाक़त सोचिये…
Added by Naveen Mani Tripathi on July 19, 2018 at 7:51pm — 9 Comments
221 2121 1221 212
इन्साफ का हिसाब लगाया करे कोई।
होता कहीं तलाक़ हलाला करे कोई।।
उनको तो अपने वोट से मतलब था दोस्तों ।
जिन्दा रखे कोई भी या मारा करे कोई।।
मजहब को नोच नोच के बाबा वो खा गया ।
बगुला भगत के भेष में धोका करे कोई ।।
लूटी गई हैं ख़ूब गरीबों की झोलियाँ ।
हम से न दूर और निवाला करे कोई ।।
सत्ता में बैठ कर वो बहुत माल खा रहा ।
यह बात भी कहीं तो उछाला करे कोई ।।
आ जाइये हुजूर जरा अब ज़मीन…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on July 13, 2018 at 2:20pm — 15 Comments
1222 1222 1222 1222
यहां इंसानियत से गर सभी का राबिता होता ।।
यकीनन मुल्क का यह सर नहीं झुकता मिला होता ।।1
मुहब्बत के उसूलों को अगर उसने पढ़ा होता ।
न कोई तिश्नगी होती न कोई हादसा होता ।।2
बहुत बेचैन दरिया की उसे पहचान है शायद ।
वग़रना वह समंदर तो नदी को ढूढ़ता होता ।।3
तुम्हारी शर्त को हम मान लेते बेसबब यारों।
हमें अंजामे रुसवाई अगर इतना पता होता ।।4
सियासत दां…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on July 7, 2018 at 2:00pm — 13 Comments
121 22 121 22
वो शख्स क्यूँ मुस्कुरा रहा था ।
जो मुद्दतों से ख़फ़ा रहा था ।।
वो चुपके चुपके नये हुनर से ।
सही निशाना लगा रहा था ।।
अदाएँ क़ातिल निगाह पैनी।
जो तीर दिल पर चला रहा था ।।
तबाह करने को मेरी हस्ती ।
कोई इरादा बना रहा था ।।
मुग़ालता है उसे यकीनन ।
नया फ़साना सुना रहा था ।।
बदलते चेहरे का रंग कुछ तो ।
तुम्हारा मक़सद बता रहा था…
Added by Naveen Mani Tripathi on July 3, 2018 at 3:09pm — 12 Comments
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