२१२ २१२ २१२ २
आदमी आदमी का सहारा
एक साथी बिना क्या गुजारा
गीत को साज भी है जरूरी
नाव भी ढूँढती है किनारा
धूप है तो यहाँ छाँव भी है
राह के बीच में ठाँव भी है
सोचता क्या चला आ बटेऊ
खेत है पास में गाँव भी है
शान्ति के मार्ग जाऊँ कहाँ से
ज्ञान का दीप लाऊँ कहाँ से
लोभ ने मोह ने राह रोकी
मोक्ष मैं आज पाऊँ कहाँ से
देश में बीज क्या बो रहे हैं
क्यूँ बुरे हादसे हो रहे…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 27, 2016 at 11:38am — 8 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
दिलों में दूर रहकर भी कोई दूरी नहीं होती |
कहाँ किसको कोई पूछे यहाँ तो नाम बिकता है
किसी मजदूर के फन की कोई गिनती नहीं होती
…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 23, 2016 at 6:30pm — 12 Comments
महालक्ष्मी छंद
घूस से जो खड़ा हो गया
क्या सभी से बड़ा हो गया?
आग में जो तपा झूठ की
एक थोथा घड़ा हो गया
ज्ञान वाला यहाँ हारता
मूर्ख बाजी यहाँ मारता
मार देता वही साँच को
झूठ का वेष जो धारता
आज का हाल क्या हो रहा
क्यूँ युवा देश का खो रहा
सूखती पौध आशा भरी
मूल में क्या नशा बो रहा
सोचता है युवा क्यूँ पढूँ
है कहाँ राह आगे बढूँ
हो न पूरे यहाँ जो…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 18, 2016 at 9:09pm — 12 Comments
1212 1122 1212 112/22
बह्र –मुजतस मुसम्मन मख्बून मक्सूर
तनाव से ही सदा टूटता समाज कोई
लगाव से ही सदा फूलता रिवाज कोई
पढ़ेगी कल नई पीढ़ी उन्हीं के सफ्हों को
क़िताब ख़ास लिखी जाएगी जो आज कोई
न ख़्वाब हो सकें पूरे कहीं बिना दौलत
बना सकी न मुहब्बत गरीब ताज कोई
सियासतों में बगावत नई नहीं यारों
कभी चला कहाँ आसान राजकाज कोई
सभी मिलेंगे यहाँ छोड़कर शरीफों को
कोई फरेबी यहाँ और चालबाज…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 13, 2016 at 1:00pm — 40 Comments
२१२२ २१२२ २१२
मजहबों के बीच जो दीवार है
डालती उस नींव को सरकार है
हाथ में जिसके किताबें चाहिए
आज उसके हाथ में हथियार है
जिन्दगी इक बार मिलती है यहाँ
मर रहा इंसान सौ सौ बार है
ख्वाहिशें बच्चों की पूरी क्या करें
जेब में सहमा हुआ इतवार है
पढ़ नहीं सकता यहाँ इक हर्फ़ जो
बेचता सड़कों पे वो अखबार है
राम रहिमन बिक रहे बाजार में
फल रहा बस धर्म का व्यापार…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 10, 2016 at 10:30am — 36 Comments
2122 2122 212
बह्र –रमल मुसद्दस महजूफ़
काश हर दिन ही मुक़द्दस ईद हो
और उनकी इस बहाने दीद हो
दिल ही दिल में प्यार हम करते उन्हें
हो न हो उनको भी ये उम्मीद हो
चाँद मेरा सामने आये जहाँ
शर्म से छुपता हुआ खुर्शीद हो
एक पल भी रह न पाए बिन मेरे
ख़्वाब में मेरी उन्हें ताकीद हो
चाँद तारे दे गवाही साथ में
यूँ हमारे इश्क़ की तज्दीद…
Added by rajesh kumari on July 3, 2016 at 10:33pm — 12 Comments
“अरे..अरे रे रे .... ये क्या कर रहे हो दिमाग तो खराब नहीं हो गया आप लोगों का... किराए दार होकर बिना बताये मेरे ही घर में ये तोड़ फोड़ क्यूँ?” घर के मुख्य द्वार जिसपर उसके स्वर्गीय पति का नाम लिखा था मजदूरों द्वारा हथौड़े से तोड़ते हुए देखकर आपा खो बैठी सावित्री|
“अरे कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं बंद करो ये सब वरना अभी पुलिस को बुलाती हूँ”
“हाँ बुला लीजिये आंटी जी ताकि आज आपको भी पता लगे किरायेदार कौन है वो तो मेरे सास ससुर ने अब तक मेरा व् मेरे पति का मुँह बंद कर रखा था आज कल…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 1, 2016 at 10:00am — 10 Comments
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