राह के वो हाशिये थे एक पल में हट गये
रास्ते चौड़े हुए तो पेड़ सारे कट गये
एक है चेहरा हमारा और खूं का रंग भी
क्या रही मज़बूरी जो हम मज़हबों में बंट गये
ग़मज़दा हूँ मैं कि मेरे पैर में जूते नहीं
क्या गुज़रती होगी उसपे पांव जिसके कट गये
न रहे दादा न दादी जो रटाये राम- राम
देखकर माहौल घर का, तोते गाली रट गये
रिज्क़ की तंगी कुछ ऐसी हो गई अब गाँव में
औरतें तो रह गईं पर मर्द काफी घट गये
ज़िन्दगी के…
Added by Sushil Thakur on July 11, 2013 at 4:00pm — 6 Comments
यूं ही बचपन गया शरारत में
औ' जवानी गयी मुहब्बत में
और जो वक़्त जिंदगी के बचे
वो भी गुज़रे फ़क़त तिजारत में
बादे मुश्किल मिले जो पल वो भी
हो गए रायगाँ शिकायत में
मुफ्लिसों को भला बुरा कहना
है शुमार आज सबकी आदत में
फूल बेलपत्र के अलावा शिव
जान मांगे है अब ज़ियारत में
फ़ासला तू औ' मैं का जब न मिटे
तो मज़ा ख़ाक है मुहब्बत में
गाँव से वो कपास की कतरन
जाके चुनता है शह्रे सूरत…
Added by Sushil Thakur on July 6, 2013 at 5:00pm — 5 Comments
आया था लुत्फ़ लेने नवाबों के शह्र में
हैरतज़दा खड़ा हूँ नक़ाबों के शह्र में
आलूदा है फज़ाए बहाराँ भी इस क़दर
खुशबू नहीं नसीब गुलाबों के शह्र में
तहज़ीबे कोहना और तमद्दुन नफासतें
आया हूँ सीखने में नवाबों के शह्र में
ऐसी हसीं वरक़ को यहाँ देखता है कौन
हर सम्त जाहेलां है किताबों के शह्र में
बेहोश होने का न गुमां हमको हो सका
हर शख्स होश में है शराबों के शह्र में
चेहरे पे सादगी है तो जुल्फें…
ContinueAdded by Sushil Thakur on July 4, 2013 at 10:30pm — 13 Comments
Added by Sushil Thakur on July 4, 2013 at 12:30am — 8 Comments
बदी की राह से अब तो निकाल दे मुझको
खुदाया जब भी दे रिज्के हलाल दे मुझको
नहीं मैं राई को पर्वत, न तिल को ताड़ कहूं
ज़ुबान साफ़ औ' सादा ख़याल दे मुझको .
तेरे लिए भी ये आसां नहीं है फिर भी कभी
तू आके चुपके से हैरत में डाल दे मुझको
जुनूने इश्क़ कहीं कुफ्र तक न पहुँचा दे
तू अपने गोशाये दिल से निकाल दे मुझको
मुझे भी पी के बहकना कभी गंवारा नहीं
मगर जो गिरने पे आऊँ, संभाल दे…
ContinueAdded by Sushil Thakur on July 3, 2013 at 3:00pm — 12 Comments
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