गुरू-महात्म्य है अपरंपार,
गुरूवर नमन आपको बारंबार,
सर्वप्रथम गुरू हैं मात-पिता,
जग से जोड़ा अपना नाता,
पालन-पोषण-शिक्षा सँभाल,
दायित्वपूर्ण इनका सब संसार,
गुरूवर नमन आपको बारंबार,
ज्ञान दीप प्रज्वलित किये,
अज्ञान-तम सब हर लिये,
अहसान हैं हम पर अपार,
कैसे चुके इस ऋण का भार,
गुरूवर नमन आपको बारंबार,
हमें थे अविदित ईश्वर भी,
उनकी भी प्रतीति गुरू से ही,
गुरू से जाने…
ContinueAdded by Arpana Sharma on July 27, 2018 at 7:54pm — 6 Comments
"मैं कैसे अपने गहन दुःख का इज़हार करूँ । मेरे पिताजी की तबियत अत्यंत खराब है। करीब दस दिनों से आई.सी.यू.में भर्ती हैं । आप सभी की प्रार्थनाओं और दुआओं की बहुत जरूरत है। आपके संबल से ही हम इस मुश्किल समय से उबर पाएँगे "
अत्यंत मार्मिक शब्दों से भरा फेसबुक पर अपना स्टेटस अपड़ेट करने के बाद कुणाल उस पर मिल रहे लाईक्स पर अपना धन्यवाद और प्रार्थनाओं, दुआओं से भरे संदेशों का उत्तर देने में व्यस्त होगया। ना जाने कितनी देर वह ऑनलाइन बैठा ख़ैरियत पूछने वालों को अपने पिताजी…
Added by Arpana Sharma on July 24, 2018 at 3:07pm — 9 Comments
सुबह से ठंडे चूल्हे को देख आहें भरती वह अपनी छः वर्षीय बेटी और तीन वर्षीय बेटे को पास बिठाए गहरे मातम में ड़ूबी थी। उसे लकवा सा मार गया था। उसका मस्तिष्क मानो सोचने-विचारने की क्षमता खो बैठा था। पूरी रात उसने वहीं जमीन पर बैठे गुज़ार दी थी। दोनों बच्चे भी वहीं उसकी गोदी में पड़े- पड़े कब सो गये थे उसे कोई होश ही नहीं था। पड़ोस की बूढ़ी अम्मा ही बच्चों के लिए खाना ले आई थी।
" आह..! अब ऐसे घिनौने पाप का साया मेरे और इन बच्चों के सिर पर हमेशा मँड़राता रहेगा।"
उसकी दुःखभरी कराहें निकल…
ContinueAdded by Arpana Sharma on July 22, 2018 at 3:30pm — 6 Comments
गीतों की लय
है ड़गमगाई,
सुरों की सरगम
स्तब्ध हो आई,
भाव खो बैठे,
हैं धीरज,
कैसे कह दें
अलविदा
आपको कविवर
हे नीरज,
शब्द-लय सुर-गीत
अप्रतिम -अद्वितीय ,
युगों- युगों रहेंगे
गुँजायमान,
है धन्य-धन्य,
यह भारत भूमि,
पाकर आपसा अनन्य,
कलम का धनी...!!
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by Arpana Sharma on July 20, 2018 at 11:00pm — 7 Comments
मैं तृषित धरा ,
आकुल ह्रदया,
रचती हूँ ये पाती,
मेरे बदरा,
तुम खोए कहाँ,
मुझसे रूठे क्यों,
हे जल के थाती,
दूर-दूर तलक,
ना पाऊँ तुम्हें,
कब और कैसे,
मनाऊँ तुम्हें,
नित यही मैं ,
जुगत लगाती,
साँझ- सबेरे,
राह निहारे ,
मैं अनवरत ,
थकती जाती,
आओ जलधर,
जीवन लेकर,
बिखेरो सतरंग,
सब ओर मुझपर,
तड़ित चपला की,
शुभ्र चमक में,
श्रृंगारित हो,
सुसज्जित हो,
हरी चूनर मैं,…
Added by Arpana Sharma on July 20, 2018 at 4:30pm — 9 Comments
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