(1212 1122 1212 22 /112 )
तू अपने आप को अब मेरे रू ब रू कर दे
बहुत दिनों की मेरी पूरी आरज़ू कर दे
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वबा के वार से दुश्वार हो गया जीना
ख़ुदाया अम्न को तारी तू चार सू कर दे
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बता मैं दश्त में पानी कहाँ तलाश करूँ
चल अपनी चश्म के अश्कों से बा-वज़ू कर दे
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ख़ुदा किसी को न औलाद ऐसी अब देना
जो वालिदेन की इज़्ज़त लहू लहू कर दे
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मैं जानता हूँ सदाओं की भीड़…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 30, 2020 at 4:00pm — 6 Comments
(221 2121 1221 212 )
अपने हिसार-ए-फ़िक्र से बाहर बशर निकल
दुनिया बदल गई है तू भी अब ज़रा बदल
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रफ़्तार अपनी वक़्त कभी थामता नहीं
अच्छा यही है वक़्त के माफ़िक तू दोस्त ढल
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पीछे रहा तो होंगी न दुश्वारियां ये कम
चाहे तरक़्क़ी गर तो ज़माने के साथ चल
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रिश्ते निभाने के लिए है सब्र लाज़मी
रखना तुझे है गाम हर एक अब सँभल सँभल
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तूफ़ान में चराग़ की मानन्द क्यों…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 27, 2020 at 10:30pm — 6 Comments
ग़ज़ल (1222 1222 1222 1222 )
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मुहब्बत कीजिए यारो सदा दिलदार की सूरत
भरोसा कीजिए मज़बूत इक दीवार की सूरत
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रहें कुछ राज़ अपनी ज़िंदगी के राज़ ही बेहतर
नहीं अच्छा कि हो ये ज़िंदगी अख़बार की सूरत
**
ख़ुशी के चंद पल ही ज़िंदगी में दोस्त मिलते हैं
मगर आते हैं ग़म अक्सर सबा-रफ़्तार की सूरत
**
भले पैदा हुए हैं आप मुफ़लिस कीजिए कोशिश
न समझें आप ख़ुद को…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 7, 2020 at 6:30pm — 5 Comments
ग़ज़ल (1222 *4 )
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उमड़ता जब हृदय में प्यार कविता जन्म लेती है
प्रकृति जब जब करे शृंगार कविता जन्म लेती है
***
नहीं देखा अगर जाये किसी से जुल्म निर्धन पर
बने संघर्ष जब आधार कविता जन्म लेती है
***
हुआ विचलित अगर मन है किसी भी बात को लेकर
गलत जब हो नहीं स्वीकार कविता जन्म लेती है
***
कभी पीड़ा हुई इतनी हुआ सहना जिसे…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 4, 2020 at 1:30pm — 6 Comments
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