तुम्हारा पहला प्यार
सरिता के दोनों तटों को सहलाता कल-कल करता –
अबाध गति सा बह रहा था हमारा प्यार।
वसंती हवा की मदिर सुगंध लिए उन्मुक्त-
सी थी हमारी मुस्कान,
धुले उजले बादलों में छुपती-छुपाती –
इंद्र्धनुष जैसी थी हमारी उड़ान ।
हवा के झौंके ने सरकाया था दुपट्टा मुख से-
तुम अपलक निहारते रहते,
बस तुम ही हो मेरा पहला प्यार-
धीरे से मधुर शब्दों में कहते ।
आखिर वो सलौना सा दिन आ ही गया,
जिस का…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on July 30, 2014 at 6:00pm — 20 Comments
जाने कहाँ विलुप्त हो गए बचपन के एहसास
हमसे बहुत दूर हो गए ममता भरे हाथ।
जिस प्यार के तले सीखा था जीने का अंदाज
अकेला छोड़ उड़ गए सुनहरे परवाज़
अपने जज़्बातों का मुकाम पाने को
बेताब है अपना नया घरौदा बनाने को
क्या पता किससे मिले, बिछड़े किसी से
कौन कहेगा तू रहना खुशी से,
जमाने की हाफा-दाफी ने भुला दिया-
अपनों के प्यार की दौलत को
ऊंचा उठने के मनोरथ ने मिटा…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on July 29, 2014 at 11:30pm — 18 Comments
क्यों होती बेटियाँ
थोड़ी पराईं सी ?
होती हैं बेटियाँ
माँ की परछाईं सी।
घर से वो निकलें जब
थोड़ा सा सहम-सहम
करती वो गलती बुरे
लोगों पर रहम कर
क्यों होती बेटियाँ
थोड़ी पछताईं सी?
जग करता मुश्किल
उनकी हर राहें
करतीं हैं पीछा शातिर निगाहें
क्यों होतीं बेटियाँ
तोड़ीं घबराईं सी ?
पैरों में उनके रिश्तों की पायल
तानें देके सभी करते हैं घायल
क्यों होती…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on July 24, 2014 at 8:30pm — 4 Comments
आई बरखा झूमती
कलियों का मुख चूमती
पवन झकोरे सर-सर करते
डाली –डाली झूमती
आँगन की महके है माटी
गमले में तुलसी लहराती
बैठ झरोके टुक –टुक देखूँ
भीगी मोरें नाचती
अंबर पर मेघों का पहरा
श्याम रंग फैला है गहरा
मेघों की धड़के है छाती
पपीहा टेर सुहाती
महक उठी कृषकों की पौरें
धीमी हो गई रहट की दौड़ें
गीली हो गई दिन और रातें
नई उमंगें झाँकती
मौलिक व…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on July 14, 2014 at 11:00pm — 10 Comments
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