Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 31, 2015 at 10:42am — 6 Comments
आवरण छोड़ कर तुम चले तो गये, आभरण आज उसका उतारा गया।
आज फिर इक सुहागन अभागन हुई, उसका सिन्दूर धुल के बहाया गया।।
मयकदे से तुम्हारी लगन क्या लगी, देख ले ना गृहस्थी अगन में जली।
आचरण के असर से भले तुम गये, एक दुल्हन को बेवा बनाया गया।।
कल्पना से परे चेतना से परे, जाने संसार में कौन से तुम गये।
हे भ्रमर किस सफर पर चले तुम गये, रंग तेरे सुमन का मिटाया गया।।
कितने संताप आँखों के रस्ते बहे, कितने सपने सुलग कर भशम हो…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 29, 2015 at 11:58pm — 7 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 27, 2015 at 9:56pm — 10 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 25, 2015 at 9:57pm — 5 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2015 at 11:30am — 13 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2015 at 11:30am — 13 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 21, 2015 at 10:06pm — 15 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 21, 2015 at 7:27pm — 11 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 15, 2015 at 11:24am — 10 Comments
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