Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 7:30pm — 6 Comments
मर्यादित आचरण ही,सद्चरित्र व्यवहार,
सद्चरित्र व्यवहार से,हो दर्शन करतार //
कर दर्शन करतार के, सदाचार सोपान,
सदाचार सोपान से, होगा बेडा पार //
होगा बेडा पार तब,परहित तेरे कर्म,
परहित तेरे कर्म हो, उसेही मनो धर्म //
पुरुषोत्तमश्री राम का, है मर्यादित चरित्र,
अनुशासित नित्कर्म, है आचरण पवित्र //
जीवन दर्शन तत्व को,कृष्ण ही समझाय
युक्ति संगत करम को, कर्मयोगी बतलाय //
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 11:30am — 16 Comments
कर्म ने ही सुखद भाग्य बनाया
गीता में कृष्ण ने यही बताया |
मदद ली जाती है, इसकी समझ धरो
भूलोंसे सीख का मन में उन्माद भरो |
प्रभु के दिए मौके को न जाने दिया करो
उंगलियाँ यूँ ही न सब पर उठाया करो |
बीते वक्त की याद ने मन दुखी कराया
उठों तभी सवेरा है, मन को समझाया…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2012 at 5:34pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 27, 2012 at 3:04pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 24, 2012 at 1:30pm — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 23, 2012 at 10:30am — 7 Comments
हे भारत के लोगों जागों
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2012 at 2:30pm — 3 Comments
रामानुज के छोटे भाई शिवशंकर अन्तरिक्ष संचार विभाग में कार्यरत थे |विभाग के उपमहा प्रबंधक धोकलराम पंवार ने शिवशंकर को आकाशपुर की स्टेशनरी फर्मो से निविदाए एवं साथ में बंद लिफाफे एकत्रित कर प्रस्तुत करने का कार्य करने का निर्देश दिया | डी.जी.एम् धोकलराम पंवार को उसने बताया कि उसकी सेवा निवृति होने में अब 15 माह का समय ही शेष बचा है, अतः यह कार्य किसी अन्यसे सम्पादित करावे | डी.जी.एम्. पंवार ने कहा कि सेवा निवृति से पूर्व,मै चाहता हूँ कि आप भी लाभ ले लो,फिर आपकी इमानदार छवि के चलते किसी को कोई…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 13, 2012 at 4:00pm — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 6, 2012 at 12:30pm — 7 Comments
बच्चे ने पूछा - दादी, आप भगवन को प्यारी कब होंगी ? बूढी दादी बोली-बेटा,भगवान् की पूजा करना ही अपने हाथ में है,बाकी सब भगवान पर है | बच्चे ने फिर पूछा- दादी आप "टै" कब बोंलेगी ? दादी कुछ देर विस्मय से बच्चे को गुहारती रही,फिर सोच कर बोंली- सौरभ बेटे "टै" बोलने से क्या होता है ? चल तू कहता है तो अभी ही बोल लेती हूँ -टै | इस पर सौरभ बोंला - दादी. रात को माँ पापा से कह रहा था कि आप नयी कार कब खरीदोंगे | मम्मी-पापा बात कररहे थे कि दादी के पास बहुत सारा धन है | पर जब वह "टै" बोल जायेगी तब ही…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2012 at 5:30pm — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2012 at 11:00am — 5 Comments
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