जहाँ जोर ना चले तलवार का
जहाँ मोल ना हो व्यव्हार का
तब सन्देश का माध्यम बन
समस्या करती छू मन्तर
कभी प्रेम प्रसंग का ताना बुन
शब्द लाती मैं चुन चुन
व्याकुल हो जब कोई मन
अंकुश लगाती शंकित मन
सूचक दे छवि विषाद का
आन्तरिक सुख को करूं अपर्ण
वीर रस का जब
ब्खान हूँ करती
मुर्दों में भी जीवन भरती
शब्दों के मैं मोती बना
भावना ऐसी व्यक्त करती
नीरस जीवन में जब
रंग रस मैं भरती
संकोची हृदय की जब व्यथा सुनती
उन्मुक्त…
Added by PHOOL SINGH on August 31, 2012 at 2:00pm — 5 Comments
लोग पूछते है कविता
हमे क्या है, देती
मैं कहता हूँ कविता
हमे क्या नहीं देती
हृदय सबके सादगी देती
नीरस जीवन में ताजगी देती
जीने का मकसद जब, तुझे ना सूझे
जीवन की राह फिर हमे दिखाती
मुहब्बत का पैगाम सुनाती
वीरो की गाथा सुना
कीर्ति उनकी जग फैलाती
संकीर्णता की सरहदे लाँघ
हृदय को विचरण नभ कराती
अमन का सन्देश सुनाती
कल्पना की छलांग लगा
सपनों की दुनिया में, कवि घुमाती
कभी बनाती शीश महल
कभी रंक से राजा बनाती…
Added by PHOOL SINGH on August 29, 2012 at 9:30am — 2 Comments
जिंदगी से जब सरोकार हुआ
संघर्ष की आँधियों ने
लोगो की तीखी बातों ने
ऐसा दिल पर वार किया
लहूलुहान हुआ हृदय अपना
ऐसा घायल दिल
अपना तो यार हुआ
कुरेद कुरेद के बातें छेड़े
लोग उस वक़्त की
जिस वक़्त जीना
अपना दुश्वार हुआ
मांगे भी तो मौत ना मिलती
दुःख दावानल का
जब वार हुआ
तब समझ में आया हमको
क्यों संसार अग्रसर
प्रलय की ओर हुआ
Added by PHOOL SINGH on August 28, 2012 at 12:00pm — 2 Comments
स्वपन दुनियाँ से जागो आज
भ्रूण हत्या का करो ना पाप
आत्मा की उसकी सुनो गुहार
देखि नहीं जो, अब तक संसार
करती फरियाद वो चीख पुकार
क्यूँ करता मेरी, हत्या समाज
कोई तो दो मेरा दोष बता
कन्या होने की दो ना सजा
माँ बेबस लाचार, तू क्यूँ है बता
हृदय अपना शूल ना बना
मुझ पर थोडा तरस तो खा
निर्मम हत्या से मुझे बचा
अपने सानिध्य में मुझको ले
वंचित न कर अधिकार मेरे
दे मुझको संस्कार…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on August 23, 2012 at 3:00pm — 4 Comments
मुझ पर एक एहसान करो
ढंग से अपना कर्म करो
अलख ज्योति जला के हृदय
नवीन युग का निर्माण करो
मुझ पर एक एहसान करो
आँधियों को भी चलने दो
जख्मो को भी बनने दो
जूझते रहो हर समस्या से
जब तक ना इसका
समूल विनाश करो
मुझ पर एक एहसान करो
निपुण स्वयं को इतना करो
कथन करनी में भेद ना हो
स्र्मृति चिन्ह बने तेरे कदम
आयाम ऐसे खड़े करो
मुझ पर एक एहसान…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on August 22, 2012 at 5:46pm — 7 Comments
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