सावधान रहो
सतर्क रहो
किस किस से
कब कब
कहाँ कहाँ
हमेशा रहो
हरदम रहो
जागते हुए भी
सोते हुए भी
क्या कहा ?
ख्वाब देखती हो
किसने कहा था
बंद करो
कल्पना की कूची से
आसमान में रंग भरना
उड़ना चाहती हो ?
क़तर डालो पंखो को
अभी के अभी
ओफ्फ तुम मुस्कुराती हो
अरे तुम तो खिलखिलाती भी…
ContinueAdded by MAHIMA SHREE on August 2, 2013 at 10:30pm — 43 Comments
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