सुन्दर प्रिय मुख देखकर, खुले लाज के फंद।
नयनों से पीने लगा, भ्रमर भाँति मकरन्द !!१
प्रेम जलधि में डूबता ,खोजे मिले न राह !
विकल हुआ बेसुध हृदय, अंतस कहता आह!!२
प्रेम भरे दो बोल मधु,स्वर कितने अनमोल !
कानों में सबके सदा ,मिश्री देते घोल !!३
रवि के जाते ही यहाँ ,हुई मनोहर रात !
चाँद निखरकर आ गया,मुझसे करने बात !!४
अधर पंखुड़ी से लगें ,गाल कमल के फूल !!
ऐसी प्रिय छवि देखकर, गया स्वयं को…
Added by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 6:30pm — 32 Comments
समय समय की बात है ,देखो बदली रीत !
मौन कोकिला हो गयी ,कौवे गाते गीत !!१
दुबका दुबका सच दिखे ,सहमा सहमा धर्म !
जबसे लोगों के हुए ,उल्टे गंदे कर्म !!२
मेरे प्यारे गाँव की ,बदल गयी तसवीर !
वही नदी है ,नाव है, किन्तु न दिखता नीर !!३
देखो फिर से हो गया ,मुख प्राची का लाल !
किरणों ने कुछ यूँ मला ,उसके गाल गुलाल !!४
तन पर कपड़ों की कमी ,हाड़ कपाती शीत !
बना गरीबों के लिए ,यही दर्द का गीत !!५
लालच कटुता…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 4:38pm — 26 Comments
सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१
राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२
ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३
श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४
सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५
सहज नहीं…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 10:30am — 28 Comments
१ -उस दिन
रोज़ की तरह
उस दिन भी वो मिलीं मुझसे
हँसते हुए
लेकिन हँसी
अजीब सी लगी उनकी
जैसे कोई ईमानदार कर्मचारी
बेइमान अफ़सर को इस्तीफ़ा सौपे
और वो मुस्कुरा दे
**********************************
२-ऐसा भी
रक्त पिपासु कीड़ा
आखिरी बूँद तक चूस गया
अरे ये क्या?
शिकारी कुत्ते भी है
हड्डियाँ चबाने के लिए
*******************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on September 16, 2013 at 10:07pm — 26 Comments
वज़न -२२१२ २२१२
ठगते रहे सब प्यार में!
बिकता रहा बाज़ार में !!
लेने चला मै रौशनी!
पागल सा अन्धे गार में !!
खुद ही बताता है जखम !
थी धार क्या औज़ार में !!
कैसे नहीं गिरती भला !
थी रेत ही दीवार में !!
कैसे करूँ तारीफ़ मै!
दम ही कहाँ अशआर में !!
****************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 16, 2013 at 9:00pm — 34 Comments
समय बड़ा बलवान है ,देता सबको सीख !
पड़ जाती है माँगनी ,राजा को भी भीख !!१
अपना अपना बोलकर ,भरते अपना पेट !
मानवता भी चढ़ गयी ,यहाँ स्वार्थ की भेंट !!२
जहर उगलते है यहाँ ,आपस में ही लोग!
फिर कैसे सौहार्द हो ,कैसे जाये रोग !!३
अज्ञानी देने लगा ,जबसे सबको ज्ञान !
ऐसे मूर्ख समाज का ,कैसे हो कल्यान !!४
ऊँच नींच कोई नहीं ,सुन ईश्वर पैगाम !
बड़े प्रेम से खा गए ,सबरी के फल राम !!५
पैसे से होती यहाँ…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 9:00pm — 28 Comments
उदित हुए रवि प्रेम के ,समय बड़ा अनुकूल !
ह्रदय प्रफुल्लित हो गया ,फूले मन के फूल !!1
प्रेम सुनाता है सुनों ,गाकर सुन्दर गीत !
यह जीवन दिन चार का ,सीखो करना प्रीति !!2
लिए पोटली प्रेम की ,सबसे हँसकर बोल !
प्रेम भरे दो बोल ही ,देते अमृत घोल !!3
मन में खिलते फूल है ,महकी महकी रात !
तन मन पुलकित हो गया, की है ऐसी बात !!4
बजी बाँसुरी प्रेम की ,सुन्दर कितनी तान !
मेरे मन को मोहती ,उनकी मृदु मुस्कान…
Added by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 7:51pm — 24 Comments
कई साल बाद लौटा
बहुत कुछ बदला लगा
विकास ही विकास
कस्बा अब शहर हो चुका है
अरे ये क्या ?
जहाँ पेड़ों का एक झुण्ड था
वहाँ बड़ी बड़ी इमारतें
सीना ताने खड़ीं है
मृत पेड़ों की देह पर
ठहाके मारती
कोई दुःख नहीं
पेड़ों की
अकाल मृत्यु पर
विकास रुपी राक्षस को बलि देकर
खुश थे लोग
******************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 8:27pm — 30 Comments
रात भर सोया नहीं
बस सोचता रहा
कब काली रात जायेगी
रवि अपनी किरणें फैलाएगा
बहुत लम्बी रात थी
जो नहीं था उसे खोजता रहा
अंतहीन धुंध के खौफ से
डरता कांपता
बार-बार खुद से यही पूछता
क्या सफल हो पाऊंगा?
सुबह हुई
पर कोई नयापन नहीं
अचानक
चिर स्थिर खड़े पेड़ को देखा
एक भी पत्ते नहीं थे
शायद !मुझसे कह रहा था
धैर्य रखो बसंत आने तक।
*******************************
राम…
Added by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 2:38pm — 27 Comments
Added by ram shiromani pathak on September 2, 2013 at 8:00pm — 24 Comments
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