For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिज्जु "शकूर"'s Blog – September 2015 Archive (4)

अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये- ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

जब लिया इक दूसरे से हमने रुख़सत ले गये

अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये



निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो

याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये



ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं

आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये



अपनी वो मस्रूफ़ियत से एक लम्हा छोड़कर

पास बैठे दो घड़ी क्या मेरी फुरसत ले गये



वो हसद का एक शो’ला मेरे दिलमें डालकर

काम अपना कर दिया मेरी वजाहत ले गये



रोककर… Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 6:36am — 16 Comments

पलट के फिर आयेंगी- शिज्जु

12112 12112 12112 12112

पलट के फिर आयेंगी वो महक सबा वो सहर कभी न कभी

उदास न हो कि होगा हर इक दुआ का असर कभी न कभी



ये राह बहुत तवील सही, तू तन्हा ओ बेक़रार सही

मगर तुझे याद आयेगी ये घड़ी ये सफ़र कभी न कभी



यूँ हाथ के आबलों पे न जा, ज़बीं से टपकती बूंदें न देख

दिखेगा ज़रूर दुनिया को भी, तेरा ये हुनर कभी न कभी



पिघलने लगेंगे संगे-महक, तेरे तबो-ताब से किसी दिन

निकाल के लायेंगे यही पत्थरों से नहर कभी न कभी



फ़लक़ ये ज़मीन आबो हवा,… Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2015 at 5:22pm — 12 Comments

नैतिकता की गिनती होती है सामानों में- ग़ज़ल

22 22 22 22 22 22 2

नैतिकता की गिनती होती है सामानों में

व्यापार बना है अब रिश्ता हम इंसानों में



सिमट गई सारी दुनिया मोबाइल में लेकिन

बढ़ गई दूरी घर के बैठक औ’ दालानों में



छो़ड़ धरा उड़नेवालों याद रहे तुमको ये

शाख नहीं होती सुस्ताने को अस्मानों में



आकांक्षायें भूल गईं हैं रिश्तों को अब तो

स्वार्थ छुपा दिखता है लोगों की मुस्कानों में



मादा जिस्मों को तकती आवारा नज़रों को

धर्मों के रक्षक रक्खेंगे किन पैमानों… Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on September 16, 2015 at 12:52pm — 9 Comments

मेरी भी दास्ताँ समझे कोई

1222 1222 12
मेरी भी दास्ताँ समझे कोई
मुझे इंसाँ यहाँ समझे कोई

मुहब्बत में तनाफ़ुर ढूँढ ले
मुझे फिर हमज़बाँ समझे कोई

दिखाता हूँ उजालों की तरफ़
ये कोशिश रायगाँ समझे कोई

मुझे भी दर्द होता है बहुत
तड़प मेरी कहाँ समझे कोई

जला के निकला हूँ इक शम्अ मैं
मगर आतिश-फिशाँ समझे कोई

(रायगाँ= व्यर्थ, आतिश-फिशाँ= ज्वालामुखी)

मौलिक व अप्रकाशित

Added by शिज्जु "शकूर" on September 6, 2015 at 2:47pm — 5 Comments

Monthly Archives

2025

2023

2020

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. लक्ष्मण जी,वैसे तो आ. तिलकराज सर ने विस्तार से बातें लिखीं हैं फिर भी मैं थोड़ी गुस्ताखी करना…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी"
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज कपूर जी, मैं सुधारने की कोशिश करता हूँ।"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश जी फिलबदी है, कल आपकी ग़ज़ल में टिप्पणी के बाद लिखा है।"
33 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,जल्दबाज़ी में मतले को परिवर्तित करने के चलते अभी संभावनाएं बन रही हैं कि समय के साथ…"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
49 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service