For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sulabh Agnihotri's Blog – September 2014 Archive (6)

कौन दे उल्लास मन को ? .. सुलभ अग्निहोत्री

कौन दे उल्लास मन को ? फिर वसन स्वर्णिम, किरन को ?

हो गये जो स्वप्न ओझल फिर दरस उनके नयन को ?

कोपलों पर पहरुये अंगार धधके धर रहे हैं

साधना कापालिकी उन्माद के स्वर कर रहे हैं

त्राहि मांगें अश्रु किससे, वेदना किसको दिखायें

कौन दे स्पर्श शीतल अग्निवाही इस पवन को ?

कोटि दुःशासन निरंतर देह मथते, मान हरते

द्रौपदी का आर्त क्रंदन अनसुना श्रीकृष्ण करते

नेह के पीयूष से अभिषेक कर फिर कौन दे अब

भाल को सौभाग्य कुमकुम, आलता चंचल चरन को…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on September 28, 2014 at 5:20pm — 16 Comments

है अपनी नस्ल पे भी फख्र अपने गम की तरह से .. - सुलभ अग्निहोत्री

है अपनी नस्ल पे भी फख्र अपने गम की तरह से

दिलों में घर किये हुए किसी वहम की तरह से

बहारें छोड़ती गईं निशान कदमों के मगर

उजाड़ मंदिरों के भव्य गोपुरम की तरह से

खरा है नाम पर नसीब इसका खोटा है बड़ा

ये मेरा देश बन के रह गया हरम की तरह से

बचे हैं गाँठ-गाँठ सिर्फ गाँठ भर ही रिश्ते सब

निभाये जा रहे हैं बस किसी कसम की तरह से

सजा गुनाह की उसे अगर दें, कैसे दें बता ?

हमारी रूह में बसा है वो धरम की तरह…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on September 21, 2014 at 4:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल .......... सुलभ अग्निहोत्री

हद से अपनी गुजर गया कोई ।

चुपके दिल में उतर गया कोई ।।

आँख में आसमान लाया था

मेरी अंजुरी में भर गया कोई ।।

छोटी बच्ची सा झूल बाहों में

मन की हर पीर हर गया कोई

टूटी छत से उतर के कमरे में

चाँदनी सा पसर गया कोई ।।

डाल पे फूल खिल गया जैसे

स्वप्न जैसे सँवर गया कोई ।।

रोशनी को सहेजने में ही

कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।

सामने वालमीकि के फिर से

क्रौंच पर वार कर गया कोई

बह…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on September 17, 2014 at 3:07pm — 23 Comments

ग़ज़ल - - - सुलभ अग्निहोत्री

कुछ ऐसे सिलसिले हैं जो हमेशा साथ चलते हैं

कुछ ऐसे फासले हैं जोकि यादों में ठहरते हैं

छुपे कुछ राज होते हैं हरेक पैगाम में उसके

कभी हम जान लेते हैं, कभी अनजान रहते हैं

सँदेशे दिल के आते हैं, हमेशा आँख के रस्ते

कभी गालों को तर करते, कभी नूपुर से बजते हैं

वो मेरे साथ ज्यादा रासता तय कर नहीं पाये

पर उतनी राह पर अब भी हजारों फूल खिलते हैं

उन्हें जब याद करते हैं तो कोई गीत होता है

ग़ज़ल होती है जब कोई, उन्हें हम याद…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on September 16, 2014 at 3:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल - सुलभ अग्निहोत्री

सर दाँव पे लगा के अब खेल खेल देखें ।
अपना नसीब देखें, उनकी गुलेल देखें ।

शायद उठे भड़क ही कोई दबी चिंगारी
चल राख हौसलों की परतें उधेल देखें ।

चेहरे सफ़ेद सबको कमज़ोर कर रहे हैं
इन बूढ़े नायकों को पीछे धकेल देखें ।

उद्दंड अश्व खाईं की ओर जा रहे हैं
हाथों में अपने लेकर इनकी नकेल देखें ।।

क्या सूखते दरख्तों का हाल पूछते हैं
हर ओर सर उठाये है अमरबेल देखें ।।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Sulabh Agnihotri on September 7, 2014 at 6:00pm — 11 Comments

गीत

पीर पंचांग में सिर खपाते रहे ।

गीत की जन्मपत्री बनाते रहे ।

हम सितारों की चैखट पे धरना दिये

स्वप्न की राजधानी सजाते रहे ।

लाख प्रतिबंध पहरे बिठाये गये

शब्द अनुभूतियों के सखा ही रहे

आँसुओं को जरूरत रही इसलिये

दर्द के कांधे के अँगरखा ही रहे

श्वास की बाँसुरी बज उठी जब कभी

हम निगाहें उठाते लजाते रहे।।

पर्वतों से मचलती चली आ रही,

गीत गोविन्द मुग्धा नदी गा रही,

पांखुरी-पांखुरी खिल गई रूप की

भोर लहरा रही, चांदनी गा…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on September 6, 2014 at 5:11pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
5 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
8 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
8 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service