मिले तुम इत्तिफाक अच्छा था ।
हसरते दिल फिराक अच्छा था ।
मुझ से बोला कि प्यार है तुमसे ,
आपका वो मज़ाक अच्छा था ।
पाके खोया तुम्हे तो ये पाया ,
मै तनहा ही लाख अच्छा था ।
नज़रें फेरे जो तुमको देखा तो ,
लम्हा वो दर्द नाक अच्छा था ।
प्यार में मेरे हज़ारों कमियाँ ,
तेरा धोखा तो पाक अच्छा था ।
कस्मे वादे रहीं न रस्में वफ़ा ,
दिल दिल का तलाक अच्छा था ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Added by Neeraj Nishchal on October 29, 2013 at 6:30pm — 12 Comments
कभी औरों से टकराते कभी खुद से खफा होते ।
न आते ज़िन्दगी में तुम तो मौसम ए खिजां होते ।
मोहब्बत की पनाहों में हुये हालात ऐसे हैं ,
न खामोशी से छुपते हैं न लफ़्ज़ों से बयाँ होते ।
दिले नादाँ को समझायें ज़रा सी बात कैसे हम ,
प्यार के हादसे अक्सर दिलों के दरमियाँ होते ।
प्यार कहने की ख्वाहिश में सिमट जाता है अपना दिल,
खुदा तेरी तरह होते जो हम भी बेज़ुबाँ होते ।
खुदी का घर मिटाये बिन सुकूँ का दर नही मिलता…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on October 29, 2013 at 6:30am — 19 Comments
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