मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,
निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,
सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,
दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के आंसू,
जुबां पे बद्दुआ बस और भीतर चिडचिड़ाहट है,
चला कर हाशिये त्यौहार की गर्दन उड़ा डाली,
दिवाली की हुई फीकी बहुत ही जगमगाहट है,…
Added by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 4:30pm — 25 Comments
कोमल काया फूल सी, अति मनमोहक रूप ।
तेरे आगे चाँद भी, लगता मुझे कुरूप ।।
भोलापन अरु सादगी, नैना निश्छल झील ।
जो तेरा दीदार हो, धड़कन हो गतिशील ।।…
Added by अरुन 'अनन्त' on October 23, 2013 at 6:00pm — 25 Comments
बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ
वज्न : 2122, 2122, 212
........................................
सभ्यता सम्मान अपनापन गया,
आदमी शैतान जबसे बन गया,
भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
ज्ञान गुण आदर कि अनुशासन…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on October 14, 2013 at 12:00pm — 17 Comments
फँसा रहता झमेले में,
मिले जो इनमें कड़वाहट,
नहीं मिलती करेले में,
हुनर जो लेरुओं में है,
नहीं इंसा गदेले में,
भले हम जानवर होकर,
यहाँ आदम के मेले में,
गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में..
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by अरुन 'अनन्त' on October 9, 2013 at 4:30pm — 36 Comments
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