For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog – October 2013 Archive (4)

भई चंदा निकल रहा होगा

जहाँ पर्वत पिघल रहा होगा

चरागे इश्क जल रहा होगा



परिंदे लौटने लगे घर को

चढ़ा सूरज जो ढल रहा होगा



बना है आदमी क्यूँ घोड़ा ये

कोई बच्चा मचल रहा होगा



गलितयों से जो दोस्ती कर ले

वो अपने हाथ मल रहा होगा



नयन हैं तिश्नगी भरे उसके

कोई तो ख्वाब पल रहा होगा



भरे है दर्द वो मगर न कहे

उसे अपना ही छल रहा होगा



छतों पे भीड़ औरतों की है

भई चंदा निकल रहा होगा



जले जो दीप आँधियों में भी

वो गर्दिशों को खल…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 22, 2013 at 12:27pm — 23 Comments

मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मगर फिर नास्ते का दाम उसमें जोड़ देते हैं

 

चलाते योजना अक्सर वो अपने जेब भरने को  

सियासी हैं बड़े नदियों का रुख भी मोड़ देते हैं

 

जो हैं कमजोर दुनिया में करें वो ज्ञान की बातें

बहादुर हैं जो हाँ करवाने सर ही फोड़ देते हैं

 

करे हैं जोंक सी यारी लिपट के यार मतलब से

निकल जाता है जब मतलब वो यारी तोड़ देते हैं

 

हवाएं जब करें साजिश चटक जाते हैं तब फानूश

तमस से जंग…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 3:30pm — 10 Comments

मजाक नहीं है

मैं शाम

ढलने का इंतज़ार करता हूँ

सूरज !!!

जिसकी तपिश से

घबराया सा

झुलसा सा

मुरझाया सा

खींच लेना चाहता हूँ

रात की विशाल

छायादार चादर

जिसमें जड़े हैं

चाँद तारे

और बिखरे से

सफ़ेद रुई के फोहों से

मखमली दूधिया बादल

थकान मिटाने

को होता है

सन्नाटों का गीत

.........................................

सन्नाटों का गीत

अद्भुत है अद्वितीय है

इसकी लय…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 8, 2013 at 1:30pm — 14 Comments

ये नज़र किससे मेरी टकरा गई

ये नज़र किससे मेरी टकरा गई

पल में दिल को बारहा धडका गई

 

एक टक उसको लगे हम ताकने

शर्म थी आँखों में हमको भा गई

लब गुलाबों से बदन था संदली

खुशबू जिसकी दिल जिगर महका गई

 

कैद है या खूबसूरत ख्वाब-गाह 

गेसुओं में इस कदर उलझा गई

 

पग जहाँ उसने रखे थे उस जगह

जर्रे जर्रे पे जवानी आ गई

 

“दीप” जो बुझने लगा था इश्क का 

मुस्कुरा के उसको वो भड़का गई

 

संदीप पटेल…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 1:30pm — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service