मैं शाम
ढलने का इंतज़ार करता हूँ
सूरज !!!
जिसकी तपिश से
घबराया सा
झुलसा सा
मुरझाया सा
खींच लेना चाहता हूँ
रात की विशाल
छायादार चादर
जिसमें जड़े हैं
चाँद तारे
और बिखरे से
सफ़ेद रुई के फोहों से
मखमली दूधिया बादल
थकान मिटाने
को होता है
सन्नाटों का गीत
.........................................
सन्नाटों का गीत
अद्भुत है अद्वितीय है
इसकी लय ताल
और शब्द तो ऐसे के बस
रोम रोम भेद दे
और भेदे भी न
ह्रदय
ह्रदय भेद जाते हैं
रात में
कुछ जुगनू
जिन्हें जूनून है
दीप बनने का
रात को मिटा डालने का
जो
करते हैं तांडव
दीप्ति का आह्वान
मंत्रोचार
बार बार
पसरे सन्नाटे की
महफ़िल में
चमक उठती है
दामिनी
चीखती सी
बेबश
लाचार
इन जुगनुओं के
तंत्र जाल में
सिमटी हुई
.........................................
उसकी तड़प
डालती है खलल
ह्रदय भेदती चीखें
जुगनुओं को
देतीं हैं तसल्ली
और मुझे
दर्द
वेदना
थकान की जगह
बढ़ जाती है
चिंता
और चिंता
............................................
सूरज तुम
आते सुबह सुबह
मेरे दरवाजे पर
चिंदियों में लिपटे हुए
.............................................
और चीखते डिब्बे
बढाते हैं बेचैनी
...............................................
पिता होना
मजाक नहीं है ......................सूरज
लड़की का पिता होना मजाक नहीं है
संदीप पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ सर आप सब के आशीर्वाद से कुछ नया करने का प्रयास करता रहता हूँ
आपकी प्रतिक्रिया मिली मनोबल बढ़ा ....................कोशिश कभी तो रंग लाएगी इस आशा से
आपका बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
रचना के लिए धन्यवाद.
लेकिन कैसे शब्दों से शब्द मिलाते बातें करते गये हैं ! .. .
शुभ-शुभ
deri se aane aur sabko prathak prathak pratikriya n de paane ke liye kshma chahta hun ................aap sabhi mujh par ye sneh yun hi banaye rakhiye .........aap sabhi kaa hriday se dhanyvaad saadar aabhar
सन्नाटे की
महफ़िल में
चमक उठती है
दामिनी
चीखती सी
बेबश
लाचार
इन जुगनुओं के
तंत्र जाल में
सिमटी हुई...एक ह्रुदयस्पर्शी झंझोड़ता सा शब्द चित्र
और अंत में..
..................सूरज
लड़की का पिता होना मजाक नहीं है.......मर्मस्पर्शी
हार्दिक शुभकामनाएं
इस सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई
अपने अंदर सुंदर भावों को समेटे इस अतुलनीय कृति के लिए बधाई हो संदीप भाई....
आदरणीय भार्इ संदीप जी, वाह ! बातों ही बातों में जो बात निकल कर आती है................सच कहते हैं लोग यहां कन्या दान महा दान। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें । सादर,
वाह आदरणीय संदीप जी बेहतरीन और आखिरी मे आपने कहा
//पिता होना
मजाक नहीं है ......................सूरज
लड़की का पिता होना मजाक नहीं है// बहुत खूब कहा बधाई स्वीकार करें
पिता होना
मजाक नहीं है ......................सूरज
लड़की का पिता होना मजाक नहीं है
बेहद ही संवेदनशील पंक्तियाँ!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online