चमकती, फैलती, दीपावली की रोशनी देखो
जो फैलाई है तुमने इक नजर वो गन्दगी देखो
हमेशा दूसरों में तो निकाली हैं कमी लाखों, ...
पता चल जाएगा सच, जब कभी अपनी कमी देखो
खुशी अपनी जताने के तरीके तो हजारों हैं,
किसी की मुस्कुराती आँखों के पीछे नमी देखो
मसीहा ही समझता है हमारे दर्द के सच को
वो सबके दर्द लेकर खुश हुआ, उसकी खुशी देखो
वो कुदरत की तबाही, बेघरों के दर्द जाने है,
फरिश्ता ही मना सकता है यूँ दीपावली देखो।
^^^^^^^^^सूबे सिंह सुजान…
Added by सूबे सिंह सुजान on October 23, 2014 at 10:47pm — No Comments
वहशतों का असर न हो जाये
आदमी जानवर न हो जाये
शाम के धुंधलके डराने लगे हैं,
हमसे ओझल नगर न हो जाये
अपने रिश्तों को अपने तक रखना,
मीडिया को खबर न हो जाये
ग़म का पत्थर मुझे दबा देगा,
आपकी हाँ अगर न हो जाये...
आप झुक जाएंगी जवानी में,
टहनियों सी कमर हो जाये
आपका इन्तजार जहर बना,
“सब्र वहशत असर…
Added by सूबे सिंह सुजान on October 6, 2014 at 9:00pm — 2 Comments
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