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रमेश कुमार चौहान's Blog – October 2014 Archive (3)

काले धन का हल्ला

छन्न पकैया छन्न पकैया, काले धन का हल्ला ।

चोरों के सरदारों ने जो, भरा स्वीस का गल्ला ।।



छन्न पकैया छन्न पकैया, कौन जीत अब लाये ।

चोर चोर मौसेरे भाई, किसको चोर बताये ।।



छन्न पकैया छन्न पकैया, सपना बहुत दिखाये ।

दिन आयेंगे अच्छे कह कह, हमको तो भरमाये ।।



छन्न पकैया छन्न पकैया, धन का लालच छोड़ो ।

होते चार बाट चोरी धन, इससे मुख तुम मोड़ो ।।



छन्न पकैया छन्न पकैया, काले गोरे परखो ।

कालों को दो काला पानी, बात बना मत टरको ।। …

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Added by रमेश कुमार चौहान on October 29, 2014 at 9:30pm — 6 Comments

दोहे-रमेश चौहान

एक दीप तुम द्वार पर, रख आये हो आज ।

अंतस अंधेरा भरा, समझ न आया काज ।।



आज खुशी का पर्व है, मेटो मन संताप ।

अगर खुशी दे ना सको, देते क्यों परिताप ।।



पग पग पीडि़त लोग हैं, निर्धन अरू धनवान ।

पीड़ा मन की छोभ है, मानव का परिधान ।।



काम सीख देना सहज, करना क्या आसान ।

लोग सभी हैं जानते, धरे नही नादान ।।



मन के हारे हार है, मन से तू मत हार ।

काया मन की दास है, करे नही प्रतिकार ।।



बात ज्ञान की है बड़ी, कैसे दे अंजाम ।

काया अति सुकुमार…

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Added by रमेश कुमार चौहान on October 24, 2014 at 9:35pm — 8 Comments

चार घनाक्षरी छंद (रमेश कुमार चौहान)

मां भारती की शान को, अस्मिता स्वाभिमान को,

अक्षुण सदा रखते, सिपाही कलम के ।

सीमा पर छाती तान, हथेली में रखे प्राण,

चैकस हो सदा डटे, प्रहरी वतन के ।

चांद पग धर कर, माॅस यान भेज कर,

जय हिन्द गान लिखे, विज्ञानी वतन के ।

खेल के मैदान पर, राष्ट्र ध्वज धर कर,

लहराये नभ पर, खिलाड़ी वतन के ।



हाथ में कुदाल लिये, श्रम-स्वेद भाल लिये,

श्रम के गीत गा रहे, श्रमिक वतन के…

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Added by रमेश कुमार चौहान on October 5, 2014 at 2:00pm — 2 Comments

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