छन्न पकैया छन्न पकैया, काले धन का हल्ला ।
चोरों के सरदारों ने जो, भरा स्वीस का गल्ला ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कौन जीत अब लाये ।
चोर चोर मौसेरे भाई, किसको चोर बताये ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सपना बहुत दिखाये ।
दिन आयेंगे अच्छे कह कह, हमको तो भरमाये ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, धन का लालच छोड़ो ।
होते चार बाट चोरी धन, इससे मुख तुम मोड़ो ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, काले गोरे परखो ।
कालों को दो काला पानी, बात बना मत टरको ।। …
Added by रमेश कुमार चौहान on October 29, 2014 at 9:30pm — 6 Comments
एक दीप तुम द्वार पर, रख आये हो आज ।
अंतस अंधेरा भरा, समझ न आया काज ।।
आज खुशी का पर्व है, मेटो मन संताप ।
अगर खुशी दे ना सको, देते क्यों परिताप ।।
पग पग पीडि़त लोग हैं, निर्धन अरू धनवान ।
पीड़ा मन की छोभ है, मानव का परिधान ।।
काम सीख देना सहज, करना क्या आसान ।
लोग सभी हैं जानते, धरे नही नादान ।।
मन के हारे हार है, मन से तू मत हार ।
काया मन की दास है, करे नही प्रतिकार ।।
बात ज्ञान की है बड़ी, कैसे दे अंजाम ।
काया अति सुकुमार…
Added by रमेश कुमार चौहान on October 24, 2014 at 9:35pm — 8 Comments
मां भारती की शान को, अस्मिता स्वाभिमान को,
अक्षुण सदा रखते, सिपाही कलम के ।
सीमा पर छाती तान, हथेली में रखे प्राण,
चैकस हो सदा डटे, प्रहरी वतन के ।
चांद पग धर कर, माॅस यान भेज कर,
जय हिन्द गान लिखे, विज्ञानी वतन के ।
खेल के मैदान पर, राष्ट्र ध्वज धर कर,
लहराये नभ पर, खिलाड़ी वतन के ।
हाथ में कुदाल लिये, श्रम-स्वेद भाल लिये,
श्रम के गीत गा रहे, श्रमिक वतन के…
Added by रमेश कुमार चौहान on October 5, 2014 at 2:00pm — 2 Comments
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