Added by AVINASH S BAGDE on October 19, 2011 at 8:00pm — 4 Comments
कैसा असर दोस्तों?
Added by AVINASH S BAGDE on October 14, 2011 at 7:00pm — No Comments
मन से फक्कड़ संत वह, तन से रहा फ़कीर.
खड़ीं सामने रूढ़ियाँ, लड़ता रहा कबीर..
तेरह-ग्यारह नाप के, रचे हजारों छंद.
दोहे संत कबीर के, करे बोलती बंद..
पूजे लोग कबीर को, ले अँधा विश्वास..
गड़े कबीरा लाज से, दोहे हुए उदास..
थोडा बोलो चुप रहो, सुनो लगा कर कान.
छोटे मुख मै क्या कहूं, कह गए लोग सुजान..
कथ्य कला काया कसक, कागज़ कलम किताब.
सब मिल कर पूरा करे, ज्ञानदेव का ख्वाब..
अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on October 5, 2011 at 3:30pm — 5 Comments
हिंदी को समर्पित दोहे.
Added by AVINASH S BAGDE on October 3, 2011 at 8:06pm — 7 Comments
(1)
मुकद्दर की बात.
हुकूमत के साथ-साथ ही दफ्तर बदल…
Added by AVINASH S BAGDE on October 1, 2011 at 4:00pm — 6 Comments
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