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Rahila's Blog – November 2017 Archive (4)

कागज़ के घोड़े (लघुकथा)राहिला

कार्यालय में कई दिनों तक बिना सूचना के अनुपस्थित रहने के वाले सुरेश कुमार को कमिश्नर साहब ने निलंबित क्या किया।वह हर कर्मचारी के लिए चर्चा का विषय बन गये।सब उनकी दबंगई और ईमानदारी के कायल हुए बगैर ना रह सके। आखिर उन्होंने मंत्री जी के दामाद के खिलाफ जो कार्यवाही की थी। वहीं निलंबन की खबर पाते ही उसी शाम ,एक मिठाई का डिब्बा लेकर सुरेश कुमार , कमिश्नर साहब के सरकारी बंगले पर पहुँच गए।

"नमस्कार सर!"

"नमस्कार ,नमस्कार कहो कैसे आये।"

"बस सर! आपको धन्यवाद कहना था। और यह एक छोटी सी… Continue

Added by Rahila on November 29, 2017 at 11:49am — 7 Comments

परित्यागी (कविता)राहिला

ना हम तुम से कोई प्रश्न करें।।

न तुम हम से कोई सवाल करो ,

ना हम तुमसे कोई शिक़वा करें।।

ना तुम हम से कोई मलाल रखो।



तुम मन चाहा पथ चुन ही लो,

फिर मेरी राह ना आन धरो।।

तुम मन चाहा स्वप्न बुन ही लो,

फिर मेरे दर ना कान धरो।



जब अंध अहं सीमा लांघे,

जब मेरा वजूद ख़ाक करो ,

तब स्वयं स्वतंत्र कर मेरा मन

तुम मुझ पर अहसान करो।।



जाओ ,जहाँ तुम्हें छाँव मिले,

जाओ, वहाँ जहां दिल खिले,

जाओ,सत्य स्वीकार किया,

तुम अपना… Continue

Added by Rahila on November 19, 2017 at 6:39pm — 6 Comments

***हरी कलम***(लघुकथा)राहिला

"क्यों मिश्रा जी!आजकल किस क्षेत्र में सीजन चल रहा है।"

मेज पर फ़ाइल रखने आये बाबू से उन्होंने पूछा ।साहब का आशय समझ, वह टेढ़ी मुस्कान के साथ बोला-

"साहब!त्योहार तो बचे नहीं,लेकिन एक तहसील में कमलेश्वर भगवान के मंदिर चला जा सकता है।"

"अच्छा...! क्यों, वहाँ क्या हो रहा है ?"

"साहब!स्थानीय मेला लगा है।और कम से कम दस विद्यालय हैं उस क्षेत्र में ।"

"दस तो काफी हैं।"

कहते हुए हरियाली की चकाचौंध उनकी आँखों में कौंध गयी।

"नहीं साहब!दस में से सिर्फ चार पर ही जा… Continue

Added by Rahila on November 16, 2017 at 12:30pm — 11 Comments

***खरबूजा*** राहिला(लघुकथा)

"अरे अम्माँ ! आपको अहमदाबाद वाले सिद्दीक साहब याद हैं ?"

"आपको जानकर खुशी होगी कि हमने जो दो फ्लैट पसंद किए हैं, उनमें से एक उनके ही पड़ोस में है।इनको तो वही जम रहा है।"

"क्या कह रही हो..! सिद्दीक यहाँ है? बड़ी भली बहू थी उसकी बहुत ही मुहब्बती।"

उसका ज़िक्र आते ही उनकी आँखों में आज भी मुहब्बत उमड़ आयी।

" बस तो फिर डिसाइड हो गया। उसे ही फाइनल कर लेते हैं।क्यों अम्माँ ? सही है न..!"

"और दूसरा वाला फ्लैट कैसा है?"अम्माँ ने प्रतिप्रश्न किया।

"वह भी बहुत बढ़िया है ।कम तो कोई… Continue

Added by Rahila on November 6, 2017 at 2:00pm — 17 Comments

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