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Alok Mittal's Blog – November 2014 Archive (5)

तनहा तनहा ही रहना है ! (ग़ज़ल)

२२ २२ २२ २२

फेलुन - फेलुन - फेलुन - फेलुन



तनहा तनहा ही रहना है !

दर्द सभी अपने सहना  है !!



रहता वो अपने मैं गुमसुम !

शांत नदी जैसे बहना है !!



उसको साथ मिला अपनों का !

अब उसको क्या कुछ कहना है



वो है नेता का साला तो !

क्या अब उसको भी सहना है !!



घर से जाते तुमने देखा !

कहिये उसने क्या पहना है !!



लड़का उसका बिगड़ा है तो !

घर फिर तो इसका ढहना है !!

"मौलिक और अप्रकाशित…

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Added by Alok Mittal on November 28, 2014 at 4:30pm — 13 Comments

आजकल हँसता हंसाता कौन है

२१२२...२१२२...२१२.

फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन ..

=====================

आजकल हँसता हंसाता कौन है

गम छुपा के मुस्कराता कौन है !!

हम ज़माने पे यकीं कैसे करें,

आज कल सच-सच बताता कौन है.!!

उलझनों में भी हैं कुछ नादानियाँ,

याद बचपन की भुलाता कौन है !!

जब मिलूँगा तो शिकायत भी करू

इसलिए मुझको बुलाता कौन है!!

दो घडी की बात है ये ज़िन्दगी,

ज़िन्दगी भर को निभाता कौन…

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Added by Alok Mittal on November 25, 2014 at 8:13am — 27 Comments

ग़ज़ल

करें कैसे भरोसा जिन्दगी का !
नहीं है आदमी जब आदमी का !!

नहीं फिर लूट पाता वो हमें भी !
वहाँ पर साथ होता गर किसी का !!

करे वो प्यार भी तो पागलो सा !
मगर ये खेल लगता दिल्लगी का

नहीं करता अगर हम को इशारे !
न होता सामना नाराजगी का !!

इबादत से डरे क्यों हम खुदा की !
मिले है रास्ता जब बंदगी का !!

अगर अपना समझ कर साथ में हो
भरोसा तो करो फिर दोस्ती का !!
.
मौलिक व अप्रकाशित

Added by Alok Mittal on November 8, 2014 at 2:30pm — 14 Comments

छुट्टी

सोनू जब सुबह सो के उठा तो माँ को घर में देखे के बोला - "अरे माँ आज ऑफिस नहीं गये आप ??"

माँ ने मुस्करा के "नहीं बेटा आज ऑफिस की सरकारी छुट्टी है .."

"छुट्टी कैसी माँ ?? कल ही तो आप सांता बाई को काम पर न आने के लिए डांट रही थी कि रोज रोज छुट्टी नहीं मिलती है ...

आपको छुट्टी मिल सकती है तो सांता बाई को क्यों नहीं माँ ?"

"फिर सरकार कितनी छुट्टी करती है माँ. "

जवाब तो माँ के पास था नहीं , बस डांट थी सोनू के लिए ....

(मौलिक व अप्रकाशित )…

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Added by Alok Mittal on November 3, 2014 at 1:30pm — 13 Comments

ग़ज़ल (आलोक मित्तल)

कौन आया है अजनबी देखो !

खुशनुमाँ आज जिन्दगी देखो II

ध्यान देना ज़रा नजर भरके !

बैठ कर खूब सादगी देखो II

देख लो ठोक औ बजा करके I

ठीक सा कोइ आदमी देखो II

प्यार का अब हुआ असर ऐसा !

आप इसकी नई कमी देखो !!

हर तरफ चल रही सफाई है !

पर फिजाओं में गंदगी देखो !!

देखिये बँट रही मिठाई है !

कौन है फिर यहाँ दुखी देखो !!

जीत ली प्यार से मुहब्बत भी !

आज आलोक की ख़ुशी देखो…

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Added by Alok Mittal on November 1, 2014 at 4:00pm — 14 Comments

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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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