22---22---22---22---22---2 |
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दुख देने को आये जो हालात, सुनो |
अपना दिल भी पहले से तैनात सुनो |
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दे देना फिर तुम भी उत्तर, सुन लूँगा… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 24, 2015 at 11:25am — 22 Comments
221-2121-1221-212 |
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चैनो-सुकून, दिल का मज़ा कौन ले गया |
दामन की वो तमाम दुआ, कौन ले गया? |
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ताउम्र समंदर से मेरी दुश्मनी… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 18, 2015 at 10:12pm — 10 Comments
2122 - 1122 - 1122 - 22 या 112 |
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तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन |
रोजे-अव्वल से ही बदनाम रहा हूँ लेकिन |
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हक़ जताने से कभी हक़ नहीं होता… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 16, 2015 at 11:30am — 16 Comments
212---212---212---212 |
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मखमली चाँदनी रोज आया करो |
पर सितारों से आमद छुपाया करो |
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तितलियों ने लिए है नए पैरहन |
ऐ… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 13, 2015 at 9:00am — 16 Comments
1212 - 1122 - 1212 – 22 |
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हरेक बात, करामात कह रहा हूँ मैं |
वो दिन को रात कहें, रात कह रहा हूँ मैं |
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लगे है आज तो खाली ख़याल अच्छे दिन… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 9, 2015 at 11:00pm — 6 Comments
1222—1222—1222—1222 |
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तसव्वुफ़ का है आलम, जिंदगी रोने नहीं देती |
ये मैली-सी चदरिया मोह की धोने नहीं देती |
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दिखे जो नींद में यारो, वो सपने हो नहीं… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 10:03pm — 14 Comments
1212 - 1122 - 1212 – 112 |
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न ओंस है, न शफक है, न ताब है कोई |
ये लॉन एक खफ़ा-सी किताब है कोई |
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झुका झुका सा मुझे देख, सब यही कहते … |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 5, 2015 at 4:36pm — 19 Comments
221 2121 1221 212 |
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होंठों पे जिनके दीप जलाने की बात है |
सीने में उनके आग लगाने की बात है |
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झाड़ी के फैलते हुए हाथों को काट… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 4, 2015 at 12:34pm — 27 Comments
1222—1222—1222—1222 |
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नज़र अपनी सितारों पर टिकाने से जरा पहले |
जमीं पर तुम जमा लेना सलीके से कदम अपने |
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फलक को चाँद भी रौशन करे खुद के उजालों… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 2, 2015 at 5:28pm — 14 Comments
221—2122—221--2122 |
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संसार हो गया है, अब अंगहीन जैसे |
सब लोग सोचते है, केवल मशीन जैसे |
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ये जात ही जुदा है, बस नाम ‘लोकसेवक’… |
Added by मिथिलेश वामनकर on November 1, 2015 at 11:00pm — 14 Comments
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