For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिथिलेश वामनकर's Blog – November 2015 Archive (10)

दुख देने को आये जो हालात, सुनो-- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर

22---22---22---22---22---2

 

दुख देने को आये जो हालात, सुनो

अपना दिल भी पहले से तैनात सुनो

 

दे देना फिर तुम भी उत्तर, सुन लूँगा…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 24, 2015 at 11:25am — 22 Comments

चैनो-सुकून, दिल का मज़ा कौन ले गया-- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर

221-2121-1221-212

 

चैनो-सुकून, दिल का मज़ा कौन ले गया

दामन की वो तमाम दुआ, कौन ले गया?

 

ताउम्र समंदर से मेरी दुश्मनी…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 18, 2015 at 10:12pm — 10 Comments

तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन -- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर

2122 - 1122 - 1122 - 22 या 112

 

तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन

रोजे-अव्वल से ही बदनाम रहा हूँ लेकिन

 

हक़ जताने से कभी हक़ नहीं होता…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 16, 2015 at 11:30am — 16 Comments

मखमली चाँदनी रोज आया करो---(ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

212---212---212---212

 

मखमली चाँदनी रोज आया करो

पर सितारों से आमद छुपाया करो

 

तितलियों ने लिए है नए पैरहन

ऐ…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 13, 2015 at 9:00am — 16 Comments

हरेक बात, करामात कह रहा हूँ मैं-- (ग़ज़ल) -- मिथिलेश वामनकर

1212 - 1122 - 1212 – 22

 

हरेक बात, करामात कह रहा हूँ मैं

वो दिन को रात कहें, रात कह रहा हूँ मैं

 

लगे है आज तो खाली ख़याल अच्छे दिन…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 9, 2015 at 11:00pm — 6 Comments

तसव्वुफ़ का है आलम, जिंदगी रोने नहीं देती--(ग़ज़ल)-- मिथिलेश वामनकर

1222—1222—1222—1222

 

तसव्वुफ़ का है आलम, जिंदगी रोने नहीं देती

ये मैली-सी चदरिया मोह की धोने नहीं देती

 

दिखे जो नींद में यारो, वो सपने हो नहीं…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 10:03pm — 14 Comments

ये लॉन एक खफ़ा-सी किताब है कोई---(ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

1212 - 1122 - 1212 – 112

 

न ओंस है, न शफक है, न ताब है कोई

ये लॉन एक खफ़ा-सी किताब है कोई

 

झुका झुका सा मुझे देख, सब यही कहते  …

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 5, 2015 at 4:36pm — 19 Comments

होंठों पे जिनके दीप जलाने की बात है--- (ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

221 2121 1221 212

 

होंठों पे जिनके दीप जलाने की बात है

सीने में उनके आग लगाने की बात है

 

झाड़ी के फैलते हुए हाथों को काट…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 4, 2015 at 12:34pm — 27 Comments

नज़र अपनी सितारों पर टिकाने से जरा पहले--(ग़ज़ल)--मिथिलेश वामनकर

1222—1222—1222—1222

 

नज़र अपनी सितारों पर टिकाने से जरा पहले

जमीं पर तुम जमा लेना सलीके से कदम अपने

 

फलक को चाँद भी रौशन करे खुद के उजालों…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 2, 2015 at 5:28pm — 14 Comments

संसार हो गया है, अब अंगहीन जैसे---(ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

221—2122—221--2122

 

संसार हो गया है, अब अंगहीन जैसे

सब लोग सोचते है, केवल मशीन जैसे

 

ये जात ही जुदा है, बस नाम ‘लोकसेवक’…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on November 1, 2015 at 11:00pm — 14 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2019

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
24 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
32 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
32 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
33 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
33 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
33 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
33 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह जी "
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उन  के बंटे जो  खेत तो  कुनबे बिखर गए
"धन्यवाद आ. आशुतोष जी "
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की-जिस्म है मिट्टी इसे पतवार कैसे मैं करूँ
"धन्यवाद आ. समर सर "
55 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आ. सौरभ सर,मोएन जो दारो की ख़ुदाई से एक प्राचीन सभ्यता के मिले अवशेष अभी देख रहा हूँ..यह ग़ज़ल कैसे…"
56 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आदरणीय, सहमति के लिए हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service