1. लच्छो
लच्छो तेरा प्यार अब, रग दौड़े बन खून ।
हृदय की तू ही कंपन, तुझ बीन सब शून ।।
तुझ बीन सब शून, प्यार जीवन संवारे ।
तू प्यार की मूरत, प्रेम का मै मतवारे ।।
तन तेरा चितचोर, मन की तुम तो सच्चो ।
तू जीवन संगनी, मेरी दुलारी लच्छो ।
2. नेता कहे
सारे नेता कह रहे, अब ना होंगे दीन।
मिट जायेंगे दीनता, हम से रहो न खिन्न ।।
हम से रहो न खिन्न, कुर्सी हमको दिलाओ ।
मुफ्त में सब देंगे, कटोरा तुम ले आओ ।।
करना…
Added by रमेश कुमार चौहान on November 18, 2013 at 10:30pm — 7 Comments
घने जंगल
वह भटक गया
साथी न कोई
आगे बढ़ता रहा
ढ़ूंढ़ते पथ
छटपटाता रहा
सूझा न राह
वह लगाया टेर
देव हे देव
सहाय करो मेरी
दिव्य प्रकाश
प्रकाशित जंगल
प्रकटा देव
किया वह वंदन
मानव है तू ?
देव करे सवाल
उत्तर तो दो
मानवता कहां है ?
महानतम
मैने बनाया तुझे
सृष्टि रक्षक
मत बन भक्षक
प्राणी जगत
सभी रचना मेरी
सिरमौर तू
मुखिया मुख जैसा
पोषण कर सदा…
Added by रमेश कुमार चौहान on November 11, 2013 at 9:30pm — 10 Comments
दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ।
कीजिये कुछ परहित काज, दीन हीन हर्षित हो ।
अश्रु न हो नयन किसी के, दुख दरिद्र ना अब हो ।
सीख दीपक से हम लेवें, हम सभी कैसे जियें ।
मन सभी निर्मल रहे अब, हर्ष अंतर्मन किये ।
शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो…
Added by रमेश कुमार चौहान on November 3, 2013 at 1:00pm — 11 Comments
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