Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 31, 2010 at 4:34pm — 4 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 27, 2010 at 11:54pm — 4 Comments
मैं कौन हूँ?
ये सोच कर ,
विचार कर ,
परेशान हो गया ,
मेरी सोचने की क्षमता,
बेकार हो गई !
मैं कौन हूँ ?
मन बोला मैं पंडित ,
मेरी बातो में दम हैं ,
इस धरती पर ,
सबसे बुद्धिशाली ,
मैं सबसे गुणी ,
मगर जो ,
हश्र रावण का हुआ ,
वो सोच मैं बेजार हो गया !
मैं कौन हूँ ?
मगर मन भटकता रहा ,
अपने बल पे गरूर था ,
डरते हैं लोग सारे ,
अच्छो अच्छो को ,
पस्त कर डाला ,
मगर जो ,
हश्र…
Added by Rash Bihari Ravi on December 27, 2010 at 3:30pm — 14 Comments
Added by Azeez Belgaumi on December 26, 2010 at 2:00pm — 7 Comments
Added by sanjeev sameer on December 26, 2010 at 12:29pm — 8 Comments
मुक्तिका:
कौन चला वनवास रे जोगी?
संजीव 'सलिल'
**
कौन चला वनवास रे जोगी?
अपना ही विश्वास रे जोगी.
*
बूँद-बूँद जल बचा नहीं तो
मिट न सकेगी प्यास रे जोगी.
*
भू -मंगल तज, मंगल-भू की
खोज हुई उपहास रे जोगी.
*
फिक्र करे हैं सदियों की, क्या
पल का है आभास रे जोगी?
*
गीता वह कहता हो जिसकी
श्वास-श्वास में रास रे जोगी.
*
अंतर से अंतर मिटने का
मंतर है चिर…
Added by sanjiv verma 'salil' on December 21, 2010 at 11:36pm — 7 Comments
घनाक्षरी :
जवानी
संजीव 'सलिल'
*
१.
बिना सोचे काम करे, बिना परिणाम करे, व्यर्थ ही हमेशा होती ऐसी कुर्बानी है.
आगा-पीछा सोचे नहीं, भूल से भी सीखे नहीं, सच कहूँ नाम इसी दशा का नादानी है..
बूझ के, समझ के जो काम न अधूरा तजे- मानें या न मानें वही बुद्धिमान-ज्ञानी है.
'सलिल' जो काल-महाकाल से भी टकराए- नित्य बदलाव की कहानी ही जवानी है..
२.
लहर-लहर लड़े, भँवर-भँवर भिड़े, झर-झर झरने की ऐसी ही रवानी है.
सुरों में निवास करे,…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on December 20, 2010 at 5:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल
by
अज़ीज़ बेलगामी
हम समझते रहे हयात गयी
क्या खबर थी बस एक रात गयी
खान्खाहूँ से मैं निकल आया
अब वो महदूद काएनात…
Added by Azeez Belgaumi on December 19, 2010 at 4:00pm — 22 Comments
कविता :- हमें माफ करना स्वस्तिका
हमें माफ करना स्वस्तिका
हमने भुला दी है इंसान होने की संवेदना
अब हमें तुम्हारे…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 4:51pm — 14 Comments
Added by Abhinav Arun on December 4, 2010 at 4:55pm — 6 Comments
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