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Tasdiq Ahmed Khan's Blog – December 2017 Archive (4)

ग़ज़ल( उठ न जाए क़ियामत नये साल में )

ग़ज़ल( उठ न जाए क़ियामत नये साल में )

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( फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन)

उन पे आई बुलूगत नये साल में |

उठ न जाए क़ियामत नये साल में |

भूल बैठे पुरानी अदावत को वो

देख कर मेरी मिन्नत नये साल में |

बाग़बाने चमन ज़ुल्म से बाज़ आ

वरना होगी बग़ावत नये साल में |

दिल में घर कर नहीं पाएँ शिकवे कभी

डालिए एसी आदत नये साल में |

राह तकता हूँ मुद्दत से…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 31, 2017 at 10:10pm — 22 Comments

ग़ज़ल (यूँ नहीं मैं ने ज़माने से बग़ावत की है )

(फाइलातुन -फइलातुन -फइलातुन -फेलुन)

यूँ नहीं मैं ने ज़माने से बग़ावत की है |

मुझ से उस शोख़ ने बे लौस मुहब्बत की है |

दिल ने मजबूर बहुत कर दिया मुझको वर्ना

मैं ने कब मर्ज़ी से उस शोख़ की हसरत की है |

मुझ से उम्मीद वफ़ा की है उसी को यारो

उम्र भर जिसने मेरे साथ अदावत की है |

रहनुमाई के लिए मैं ने चुना था जिसको

हाए उसने भी मेरे साथ सियासत की है |

सोच लेना वो कोई ग़ैर नहीं अपने हैं

तुमने…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 27, 2017 at 2:00pm — 24 Comments

ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )

ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )

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(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन )

मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे |

निकल जाएगा दिल से डर धीरे धीरे |

मुहब्बत में अंजाम की फ़िक्र मत कर

करे है यह दिल पे असर धीरे धीरे |

अभी तुझको जी भर के देखा कहाँ है

निगाहों में आ के ठहर धीरे धीरे |

मिलेगा वफ़ा का सिला सब्र तो कर

वो लेते हैं दिल की ख़बर धीरे धीरे |

यही इंतहा है…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 16, 2017 at 8:28pm — 24 Comments

ग़ज़ल (किसी खंजर का मत अहसान लीजिए )

(मफाईलुन-मफाईलुन -फऊलन )

किसी खंजर का मत अहसान लीजिए |

हमारी मुस्करा कर जान लीजिए |

जिसे अपना बनाने जा रहे हैं

उसे अच्छी तरह पहचान लीजिए |

हमारा साथ दोगे ज़िंदगी भर

वफ़ा से पहले दिल में ठान लीजिए |

मुझे तो बाद में चुन लीजिएगा

जहाँ की खाक पहले छान लीजिए |

किसे है ख़ौफ़ दिलबर इम्तहाँ का

कमाँ हाथों में अपने तान लीजिए |

किसी का लीजिए अहसान लेकिन

न दौलत मंद का अहसान लीजिए…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 7, 2017 at 2:00pm — 12 Comments

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