ग़ज़ल( उठ न जाए क़ियामत नये साल में )
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( फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन)
उन पे आई बुलूगत नये साल में |
उठ न जाए क़ियामत नये साल में |
भूल बैठे पुरानी अदावत को वो
देख कर मेरी मिन्नत नये साल में |
बाग़बाने चमन ज़ुल्म से बाज़ आ
वरना होगी बग़ावत नये साल में |
दिल में घर कर नहीं पाएँ शिकवे कभी
डालिए एसी आदत नये साल में |
राह तकता हूँ मुद्दत से…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on December 31, 2017 at 10:10pm — 22 Comments
(फाइलातुन -फइलातुन -फइलातुन -फेलुन)
यूँ नहीं मैं ने ज़माने से बग़ावत की है |
मुझ से उस शोख़ ने बे लौस मुहब्बत की है |
दिल ने मजबूर बहुत कर दिया मुझको वर्ना
मैं ने कब मर्ज़ी से उस शोख़ की हसरत की है |
मुझ से उम्मीद वफ़ा की है उसी को यारो
उम्र भर जिसने मेरे साथ अदावत की है |
रहनुमाई के लिए मैं ने चुना था जिसको
हाए उसने भी मेरे साथ सियासत की है |
सोच लेना वो कोई ग़ैर नहीं अपने हैं
तुमने…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 27, 2017 at 2:00pm — 24 Comments
ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )
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(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन )
मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे |
निकल जाएगा दिल से डर धीरे धीरे |
मुहब्बत में अंजाम की फ़िक्र मत कर
करे है यह दिल पे असर धीरे धीरे |
अभी तुझको जी भर के देखा कहाँ है
निगाहों में आ के ठहर धीरे धीरे |
मिलेगा वफ़ा का सिला सब्र तो कर
वो लेते हैं दिल की ख़बर धीरे धीरे |
यही इंतहा है…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on December 16, 2017 at 8:28pm — 24 Comments
(मफाईलुन-मफाईलुन -फऊलन )
किसी खंजर का मत अहसान लीजिए |
हमारी मुस्करा कर जान लीजिए |
जिसे अपना बनाने जा रहे हैं
उसे अच्छी तरह पहचान लीजिए |
हमारा साथ दोगे ज़िंदगी भर
वफ़ा से पहले दिल में ठान लीजिए |
मुझे तो बाद में चुन लीजिएगा
जहाँ की खाक पहले छान लीजिए |
किसे है ख़ौफ़ दिलबर इम्तहाँ का
कमाँ हाथों में अपने तान लीजिए |
किसी का लीजिए अहसान लेकिन
न दौलत मंद का अहसान लीजिए…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 7, 2017 at 2:00pm — 12 Comments
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