हमने एक दुनिया उजाड़ दी
शेरों और नील गायों की
ख़रीद ली उनकी खाल
बारह सींगों के
सींगों से कर रहे हैं
घर की दीवारों का श्रृंगार
अब आदमखोर
शेरों को नहीं
इंसानों को कहना होगा बेहतर
हिंसक हरकतें सारी
चुरा ली है
शेरों से इंसानों ने
कितने ही लक्षण आ गए हैं
पशुओं वाले इंसानों में
ऐसे में लाजमी है
जंगलों का ख़त्म होना
शेरों का ख़त्म होना ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on December 17, 2017 at 7:10am — 14 Comments
तेवर देखे ठंड के , थर-थर काँपे गाँव ।
सभी तलाशे धूप को , सूनी लगती छाँव ।।
यार बढ़े हैं आज तो , ठंडक के वो भाव ।
बस्ती के हर मोड़ पर , सुलगे देख अलाव ।।
बदला मौसम ने ज़रा , देखो अपना रूप ।
कितनी प्यारी लग रही , जाड़े की ये धूप ।।
अदरक वाली चाय से , होती सबकी भोर ।
बच्चों का भी शाम से , थम जाता है शोर ।।
किट-किट करते दाँत हैं , काँप रहे हैं हाथ ।
गर्मी लाने के लिये , गर्म चाय का साथ ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on December 10, 2017 at 10:35pm — 16 Comments
लो फिर आ गई !
नए साल के स्वागत में
उम्मीद की कुनकुनी धूप
भरोसे की मुँडेर पर
आशा-आकांक्षा की परियाँ भी
धीरे-धीरे उतरेंगी धैर्य के आँगन में
नई सोच का बाज़ीगर
सजाएगा नये-नये सपनें
जमा है जो तुम्हारे पास
अडिग विश्वास की पूँजी
अब उसे खर्च करना होगा
नये साल में मितव्ययिता के साथ
नया साल आहिस्ता-आहिस्ता
आज़माएगा तुम्हें
सावधान !! डरना नहीं
धारण कर लो अपना
फौलादी इरादों वाला कवच
जो तुमने गढ़ा है श्रम से ।
मौलिक एवं अप्रकाशित…
ContinueAdded by Mohammed Arif on December 5, 2017 at 12:06am — 12 Comments
Added by Mohammed Arif on December 1, 2017 at 12:35am — 18 Comments
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