**साल गुजरे जा रहे हैं.
आ रहे पल, जा रहे पल
साल गुजरे जा रहे हैं.
वक़्त बन के पाहुना,
आ गया है द्वार पर.
साज सज्जा वाद्य धुन.
गूंज मंगलचार घर.
नवल वधु से कुछ लजा,
दिन सुनहरे आ रहे हैं.
साल गुजरे जा रहे हैं.
बोझ बढ़ता नित नया.
स्कूल का बस्ता हुआ,
दाम बढ़ते माल के,
आदमी सस्ता हुआ.
नाम सुरसा का सुना जब,
आमजन भय खा रहे है.
साल गुजरे जा रहे हैं.
सूर्य भटका…
ContinueAdded by harivallabh sharma on December 31, 2014 at 7:23pm — 16 Comments
ग़ज़ल : शुभ सजीला आपका नव साल हो.
गर्व से उन्नत सभी का भाल हो.
शुभ सजीला आपका नव साल हो.
कामना मैं शुभ समर्पित कर रहा,
देश का गौरव बढ़े खुश हाल हो.
आसमां हो महरबां कुछ खेत पर,
पेट को इफरात रोटी दाल हो.
मुल्क के हर छोर में छाये अमन,
हो तरक्की देश मालामाल हो.
आदमी बस आदमी बनकर रहे,
जुल्म शोषण का न मायाजाल हो.
मन्दिरों औ मस्जिदों को जोड़ दें,
घोष जय धुन एक ही…
ContinueAdded by harivallabh sharma on December 28, 2014 at 5:30pm — 29 Comments
फटी भींट में चौखट ठोकी,
खोली नयी किवरिया.
चश्मा जूना फ्रेम नया है,
ये है नया नजरिया.
गंगा में स्नान सबेरे,
दान पूण्य कर देंगे.
रात क्लब में डिस्को धुन पर,
अधनंगे थिरकेंगे.
देशी पी अंग्रेजी बोलीं,
मैडम बनीं गुजरिया.
अपने नीड़ों से गायब हैं,
फड़की सोन चिरैया.
ताल विदेशी में नाचेंगी,
रजनी और रुकैया.
घूंघट गया ओढनी गायब,
उड़ती जाए चुनरिया.
चूल्हा चक्की कौन करे…
ContinueAdded by harivallabh sharma on December 22, 2014 at 1:55pm — 24 Comments
Added by harivallabh sharma on December 21, 2014 at 2:17pm — 18 Comments
*नवल वर्ष है आया.
बीता वर्ष पुरातन छोडो,
क्या खोया क्या पाया.
नवल वर्ष है आया.
तन्द्रा भंग सुहाना कलरव,
मुर्गा बांग लगाता.
किरण धो रही कालिख सारी,
दिनकर द्वार बजाता.
सागर जल में नहा रश्मियाँ,
दुति चन्दन लेपेंगीं.
पौ फटते ही तिलक सिंदूरी,
सूरज भाल लगाया.
नवल वर्ष है आया.
भोर उठी आगी सुलगाती,
धुंध धुंआ संग जाती.
पीली धूप पकौड़ी तलती,
श्यामा दूध दुहाती.
किया…
ContinueAdded by harivallabh sharma on December 19, 2014 at 11:30pm — 12 Comments
एक प्रयास ...नवगीत : तुम अब तक भूखे हो?
हम सबको तो मिला चबैना,
तुम अब तक भूखे हो?
बंटता खूब चुनावी चंदा,
तुम अब तक रूखे हो?
पंजा वाले, सइकल वाले,
कुछ हाथी वाले थे.
खिले फूल थे, दीवारों पर,
सब अपने वाले थे.
बटी बोतलें गली गली में,
तुम अब तक छूछे हो?
हम सबको तो मिला चबैना,
तुम अब तक भूखे हो?
हाथों…
Added by harivallabh sharma on December 6, 2014 at 11:00am — 14 Comments
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