प्यार की बात फिर वो सुनाने लगे।
जख़्म दिल पर नये वो लगाने लगे।।
मैं न पीता कभी,जाम फिर से मगर।
वो कसम दे मुझे खुद पिलाने लगे।।
छोड़ उन की गली, मैं चला तो वही।
बेवफा बेवफा कह बुलाने लगे।।
जो कसम थे दिये तुम न रोना कभी।
रोज सपनो में आ खुद रूलाने लगे।।
प्यार पाने के काबिल न है गहमरी।
ये हकीकत जहॉ को बताने लगे।।
अखंड गहमरी
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Akhand Gahmari on February 28, 2019 at 5:19pm — 2 Comments
न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
निकलता अासमा में चॉंद, धरती पे नही निकले
तुम्हारी याद ऐसी है कि ये दिल से नहीं निकले
हजारो है यहॉं लेकिन न कोई मीत तुम जैसा
मगर सब पूछता खुद से, बता वो मीत था कैसा
पुकारू मैं किसे बोलो, रहूँ तन्हा परेशा जब
न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
मुझे है चॉंद से नफरत, हवा उसको उडा ले…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 5, 2016 at 11:05am — 2 Comments
मैले-कुचले कपड़ो में सड़के के किनारे प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी,उसे तो समझ में भी नहीं आ रहा था कि उसके शरीर में परिर्वतन क्यों आया, क्यों हो रही है ये पीड़ा उसे,क्यों बढ़ा है उसके उदर आकार, मगर प्रकृति ने जो मानव जीवन के नियम बना दिये जो क्रिया बना दिया वह होगा जाने या अंजाने, अमीर या गरीब, मानसिक परिपक्त या अर्ध विक्षिप्त , तभी एक जीव उसके शरीर से बाहर आया एक उसी के तरह के उस छोटे जीव को देख कर आश्चर्य चकित रह गयी। उसे क्या पता था कि समाज में कुछ ऐसे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on May 22, 2016 at 9:41pm — 2 Comments
बिहार प्रान्त एवं उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र से चल कर पूरे भारत में प्रसिद्ध होने वाले इस पर्व को महापर्व का क्यों जाता है, इसका पता आपको इस व्रत की पूजा पद्वति से पता चल जायेगा। छठ पर्व छठ, षष्टी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। इसी कारण इस व्रत का नामकरण छठ व्रत हो गया।
लोक-परंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 12, 2015 at 5:00pm — 3 Comments
1222 1222 1222 1222
निशानी हार फूलो पे मुहर तुम सब लगा देना
खड़ा परधानी मेें देखो भऊजी को जिता देना
सुबह अब चार से पहले भऊजी रोज जागेगी
गली में हाथ जोडे़ मुस्कुरा कर वोट माँगेगी
बहुत खुश हैं न दॉंतो से जो पाते तोड़ अब रहिला
पता जब से चला उनको हुआ ये गॉंव है महिला
कहे बूढे़ सभी मुझसे, जरा उनसे मिला देना
निशानी हार फूलो पे मुहर तुम सब लगा देना
खड़ा परधानी मेें देखो भऊजी को जिता देना
रसोई में न काटे अब सुनो…
Added by Akhand Gahmari on October 17, 2015 at 10:00am — No Comments
हुआ है प्यार में पागल सुनो अंन्जाम इस दिल का
न तेरी बात माना मैं लगा इल्जाम इस दिल का
.
अँधेरा दूर हो करना जला, लो दिल सनम मेरा
न है जब जिन्दगी में तू न है क्या काम इस दिल का
.
रही जब पास तुम मेरे बडा अनमोल था ये दिल
न अब कोई मुझे पूछे न है कुछ दाम इस दिल का
.
तुम्हारा प्यार था जब तो बुलाते थे सभी दिलवर
सुना मैने पड़ा अब दिलजला हैै नाम इस दिल का
.
खता कोई न है इसकी, मगर बदनाम तो है ये
न करता है वफा…
Added by Akhand Gahmari on October 2, 2015 at 8:00pm — 3 Comments
अपने गॉंव पर एक गीत लिखने का प्रयास
बहर 1222 1222 1222 1222 छूट नियमानुसार लेने का प्रयास
कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते है
बना तस्वीर इक प्यारी सभी को हम दिखाते है
बकस बाबा का है मंदिर, लिये बस नाम जो आता ।
न मरता साँप का काटा, खुशी मन से वो घर जाता।
बचाने में गौ माता को, गई थी जान ही जिसकी ।
न उस बरसाल को भूले, करें पूजा सभी उसकी ।।
हमारे गाँव में गंगा, लगे मेला यहाँ हरदम ।
बने हैं घाट सब पक्के, न शहरो से दिखे कुछ…
Added by Akhand Gahmari on August 25, 2015 at 9:37am — 3 Comments
नही आता लगाना दिल करे हम क्या बताओ तुम
हकीकत जिन्दगी की याद मुझको मत दिलाओ तुम
कभी बचपन नही देखा जवानी फर्ज में गुजरे
रहा तन्हा हमेशा मैं न मेरे पास आओ तुम
हुआ था प्यार मुझको भी मगर वो भूल थी मेरी
निभा सकता न अब मैं प्यार मुझसे दूर जाओ तुम
ग़ज़ल कहता नहीं हूँ मैं नहीं मैं गीत हूँ लिखता
लिखूँ आवाज बस दिल की न उसको गुनगुनाओ तुम
मिले है दर्द लाखो पर सदा ही मुस्कुराता हूँ
छुपे जो अश्क…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on July 18, 2015 at 12:30pm — No Comments
प्यार करना न अब तुम सिखाना मुझे
पास फिर से बुला मत जलाना मुझे
जिन्दगी बेवफाई करे भी तो क्या
मौत को रूठने से मनाना मुझे।
चार कन्धे चढ़े वो चले जा रहे।
कुछ नहीं पास उनके दिखाना मुझे।
वो नहीं है किया प्यार जिससे कभी
याद उसकी न यारो दिलाना मुझे
मैं मनाता नही कोई उत्सव मगर
दीप दिल से जले तो बताना मुझे
हर तरफ जो अँधेरा जमीं पे अभी
जान दे भी उसे है मिटाना मुझे
रात भर अश्क गम में बहे क्यों सनम
दोस्त को…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on July 11, 2015 at 10:30am — 4 Comments
बिछा मेरा जमीं पे दिल कदम अपने बढ़ाती है
मुझे ही प्यार करती है कसम भी रोज खाती है
न कोई प्यार अब लिखना, किताबो से मिटा देना
वफा कैसे करें पढ कर जला वो दिल दिखाती है
जुदाई चीज है ऐसी कही खुशियाँ कही दे गम
जुदा नभ से हो बूँदे प्यास धरती की मिटाती है
खिलो मत एे कमल अब तुम, तुझे देखे न अब दुनिया।
तुम्हारा नाम ले जिसको, पुकारू वो सताती है।।
छुपा लो चाँद को बादल, न है अब रौशनी प्यारी
उजाला देख कर मुझको, किसी की याद आती है
किसे…
Added by Akhand Gahmari on June 27, 2015 at 5:05pm — 5 Comments
दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई
गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई
सिख़ाओ मत मुझे जीना न है अब जिन्दगी प्यारी
दिखा कर प्यार के सपने जला देगा मुझे कोई
गमो की राह अच्छी है न आता पास दुश्मन भी
डगर सुख की चले तो बददुआ देगा मुझे कोई
निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने
न दोगे साथ मेरा तो हरा देगा मुझे कोई
न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै
न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 24, 2015 at 3:57pm — 10 Comments
महीना जून का पावन मुझे तो खूब है भाता
मगर इसका मुझे है ग़म हमेशा ये नही आता
बला बीबी टले इस माह नइहर वो चली जाती
सुबह से शाम तक करती परेशा सर वही खाती
यही ये माह है ऐसा खुशी जो साथ्ा में लाता
मगर इसका मुझे है ग़म हमेशा ये नही आता
महीना जून का पावन मुझे तो खूब है भाता
लड़ाता जाम विस्की के ऩज़र रखता पडोसन पे
न खाना मैं बनाता हूँ मगाता रोज होटल से
पिटाई भी नही होती जली रोटी नहीं खाता
मगर इसका मुझे है गम…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 4, 2015 at 6:00pm — 4 Comments
मुक्तक- 1
भला होता है वो कैसा जिसे सब प्यार कहते है
नही यह भी पता मुझको किसे सब यार कहते है
न जाना मैं कभी इनको न पहचाना कभी इनको
यही कारण मुझे सब आदमी बेकार कहते है
मुक्तक -2
नही होता अगर ये दिल तो हम भी शान से जीते
लड़ा कर जाम से हम जाम तुम्हारे साथ में पीते
मगर कमबख्त दिल मेरा हमेशा नाम ले उसका
भुलाने ही नही देता पलों को साथ जो बीते
मुक्तक -3
करू क्या काम दिन भर मै मुझे पत्नी बताती है
झुका कर के नज़र चलना मुझे हरदम…
Added by Akhand Gahmari on May 27, 2015 at 2:12pm — 16 Comments
लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
कहे कैसी सजी हूँ मैं लगा कर मॉंग में काजल
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ समझना मत मुझे पागल
लगाती नाक पर बिन्दियॉं अदा उसकी निराली है
जला कर दिन में वो दीपक कहे मुझसे दिवाली है
बजा कर हाथ की पायल मुझे हरदम सताती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्कुराती है।
लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
न पूछो बात तुम उसकी बड़ी सीधी बड़ी न्यारी …
Added by Akhand Gahmari on April 16, 2015 at 4:30pm — 2 Comments
जनाजा जब उठे मेरा जरा तुम मुस्कुरा देना
दिये थे फूल जो तुमको जनाजे पे चढ़ा देना
गिराओ अश्क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो
चलो जब लाल जोड़े में इन्हें तब तुम बहा देना
वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो
न आये चैन मर कर भी मुझे वो बद्दुआ देना
गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया
न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना
समझ लो प्यार में तुम से यही चाहत बची मेरी
कभी तुम…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 11:00am — 13 Comments
शुरू है पत्नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है
दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है
बदन में दर्द हो उसके करो तुम तेल से मालिश
रहेगी खुश सदा तुमसे लगाओ जब उसे पालिश
सुबह पूजा करो उसकी न है अब वो चरण दासी
अगर ऐसा न कर पाये मिले भोजन तुम्हें बासी
बनाना रोज वो मुझका नया एक डिस सिखाती है
शुरू है पत्नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है
दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है
अगर उसके कभी भाई चले आये तुम्हारे घर
न…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 31, 2015 at 7:18pm — 12 Comments
कहें भी तो कहें किससे जला दिल वो दिखाता है
मिला कर जाम में आँसू मुझे हरदम पिलाता है
मिटाने को अगर तुम गम चले हो जाम पीने तो
न पीना तुम कभी इसको बहुत ये दिल जलाता है
न मैखाना कभी देखे समझ लो कुछ न देखे तुम
निराली है अदा इसकी गज़ल गूगॉं सुनाता है
बड़ी बेकार दुनिया है नहीं है प्यार अब इसमें
बिना मतलब यहाँ कोई न हाथो को बढ़ाता है
न रखनी है मुझे यारी कभी धीरज से मानव अब
जिसे मैं प्यार करता हूँ उसे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 28, 2015 at 7:23pm — 5 Comments
तुझे वो याद करके दिल जलाती है चले आओ
तड़प कर गीत वो गम के सुनाती है चले आओ
बुलाती हैं तुझे हरदम तुम्हारे गॉंव की गलियॉं
तुम्हें वो याद करके अश्क बहाती है चले आओ
न भूलेगीं कभी गलियॉं शरारत याद है तेरी
कसम तुमको शरारत की दिलाती है चले आओ
जले है हाथ फिर भी सेकती रोटी तुम्हारी मॉं
तुम्हारा नाम ले ले वो बुलाती है चले आओ
न सुख मिलता यहॉं शहरी न बिजली है न बत्ती है
मगर खुद चॉंदनी रस्ता…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 3, 2015 at 7:13pm — 20 Comments
न देखी थी कभी सूरत मगर अपना बना बैठे
खता कुछ हो गई मुझसे तभी तुझको गवा बैठे
सजा कर माँग तेरी मैं तुझे अपना बनाया था
तुम्हारे साथ मिल कर मैं घरौंदा इक बसाया था
खिले जब फूल आँगन में हुआ पूरा सभी सपना
तुम्हारे बिन नहीं कोई जमाने में लगे अपना
मगर ये भूल थी मेरी जो तुम से दिल लगा बैठे
ख़ता कुछ हो गई मुझसे तभी तुझको गवा बैठे
न देखी थी कभी सूरत मगर अपना बना बैठे
बना कर सेज़ फूलों की उसे सबने सजाया था
उठा कर मैं जमीं से फिर…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on February 25, 2015 at 2:05pm — 6 Comments
बता दो याद अब उनकी मिटायें हम कहॉं जाकर
लिखा जो प्यार के किस्से सुनायें हम कहॉं जाकर
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायें हम कहाँ जाकर
न मैखाना शहर में है न उसका घर पता मुझको
जरा कोई बताये दिल लगायें हम कहाँ जाकर
न पीया जाम क्यों मैने अगर पूछो न तुम मुझसे…
Added by Akhand Gahmari on February 5, 2015 at 6:30pm — 8 Comments
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