For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Savitri Rathore's Blog (29)

प्रेम

ये प्रेम मिलन का गीत नहीं,
विरह का विवशता-गान सही।
आज तुम मेरे मन के मीत नहीं,
तो प्राणों से बिछुड़ी जान सही।
ये नयन तुम्हारी छवि के दर्पण,
तुम नहीं तो अश्रु का स्थान सही।
ये मन तुम्हारी स्मृतियों का आँगन,
तुम नहीं तो पीड़ा का श्मशान सही।
चाहा था तुमसे मैंने केवल गहन प्रेम,
यदि नही तो उपेक्षा और अपमान सही।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक और अप्रकाशित]

Added by Savitri Rathore on April 15, 2013 at 10:52pm — 10 Comments

प्रश्न

करूणा के वशीभूत होकर

हृदय ने,पूछा मुझसे यह,

जीवन की निर्जन-बेला में,

तू बता,मुझे कौन है वह?

 विशाल जीवन-सागर में

चलता है साथ तेरे जो,

क्या है कोई इस संसार में,

समझ सके विचार तेरे वो?

हृदय के इस प्रश्न ने,

डाल दिया मुझे सोच में।

फिर मन-ही-मन मैं लगी,

 स्वयं से यह पूछने।

इस विशाल-संसार में होगा

कहीं पर ऐसा कोई क्या?

दुःख-दग्ध और करूणा से पूर्ण,

समझेगा मेरे हृदय की व्यथा।

सोचा है मन में जो कुछ मैंने,

संभव…

Continue

Added by Savitri Rathore on April 6, 2013 at 11:21pm — 18 Comments

प्रेम का रूप

क्या प्रेम मात्र एक भ्रम है,
जिसका न कोई नियम है।
या है प्राणों की विकलता,
जिस पर न सधा संयम है।
जीवन का जो प्रकाश बना,
फिर वही अँधेरा बनता है।
न्यौछावर करके तन-मन सब 
विवशता का छत्र तनता है।
देता है न दिखाई कुछ भी,
जब सम्मुख प्रेम उपस्थित हो।
मन क्यों चंचल हो जाता है,
क्यों आत्मा में न केन्द्रित…
Continue

Added by Savitri Rathore on March 31, 2013 at 5:03pm — 4 Comments

ज़िन्दगी

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

मैं तुझे पहचान न सकी।

तेरे तो हैं रूप अनेक ,

कभी तुझे जान  न सकी।

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

देखा है मैंने तुझे कभी ,

 फूलों की तरह खिलते हुए।

और कभी देखा है मैंने तुझे,

शोलों की तरह जलते हुए।

तेरी कोई पहचान न रही,

कभी तुझे जान न सकी।

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

कहीं है तू पुष्प-सी-कोमल

तो कहीं काँटों-सी-कठोर।

कहीं पर है प्यार तेरा,

तो कहीं है अन्याय घोर।

तेरी कभी कोई शान न रही,

कभी तुझे जान न सकी।

क्या…

Continue

Added by Savitri Rathore on March 26, 2013 at 3:24pm — 13 Comments

आँसू

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।

दिल में ज़ख्म बनकर  हँसते हैं आँसू।।

ग़म से जब दिल बेज़ार होता है,

ऐसे हाल में मुस्कुराना भी बेकार होता है,

तभी मोती बनकर चमकते हैं आँसू।

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।।

बुरे वक़्त का दर्द सीने में छुपाया नहीं जाता,

क्या करें,जब किसी को ये बताया नहीं जाता,

यही दर्द के मोती बनकर चमकते हैं आँसू।

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।।

इस दर्द को सीने में संभालना होता है मुश्किल,

इस बाढ़ को बढ़ने से रोकना होता है…

Continue

Added by Savitri Rathore on March 20, 2013 at 8:57pm — 13 Comments

प्रिय की प्रतीक्षा

अकेले क्यों आये हो तुम ऋतुराज,

क्यों नहीं साथ लाये मेरे प्रिय को आज?

उनकी प्रतीक्षा में थक गए नैन,

अधरों से मेरे फूटते नहीं है बैन।

 कटती नहीं मुझसे विरह की रैन,

आता नहीं मेरे मन को कहीं चैन।

उनके बिना होता नहीं कोई काम -काज।

अकेले क्यों आये हो तुम ऋतुराज,

क्यों नहीं साथ लाये मेरे प्रिय को आज?

बिना उनके फीका सौन्दर्य तुम्हारा,

कोयल के गीतों ने भी उन्हें पुकारा।

बिना प्रिय के अधूरा श्रृंगार हमारा,

काम -बाणों ने बेध दिया तन-मन सारा।

तुमसे ये…

Continue

Added by Savitri Rathore on March 14, 2013 at 8:05pm — 5 Comments

नारी शक्ति है

            सृष्टि की महत्त्वपूर्ण रचना है नारी । यदि नारी नहीं होती तो आज हम इस सम्पूर्ण सृष्टि की कल्पना करने में भी असमर्थ होते । इस सृष्टि के विकास में नारी का महत्त्वपूर्ण योगदान है । वह मानव जीवन की संचालिका और मूलाधार है । मानव-जीवन उसके अनेक रूपों और उत्तरदायित्वों से भरा पड़ा है । वह माँ है, बहिन है, पत्नी है, प्रेयसी है, पुत्री है और कहीं-कहीं प्रेरणास्त्रोत भी है । यदि नारी अपने प्रेम और सौन्दर्य से मानव-जीवन को…

Continue

Added by Savitri Rathore on March 8, 2013 at 5:30pm — 8 Comments

यूँ ही किसी से दिल लगा लिया नहीं जाता

 अब बिन तेरे मुझसे रहा नहीं जाता।

तुझसे दूरी का दर्द सहा नहीं जाता।।

ख़ुद से ज़्यादा चाहते हैं तुम्हें,पर ये

अब तुमसे क्यों कहा नहीं जाता ?

प्यार तो अपने -आप ही होता है,

कभी ये किसी से किया नहीं जाता।

आँखों में ऐसे बसी है तस्वीर तेरी,

आँसुओं से इसे मिटा दिया नहीं जाता।

हर धड़कन अब तेरा ही नाम लेती है,

मुझसे अब राम -नाम जपा नहीं जाता।

बेशक़,जी रहे हैं तुझसे दूर होकर हम 

पर अब बिन तेरे जिया नहीं जाता।

कोई तो बात होगी तुममें और…

Continue

Added by Savitri Rathore on March 6, 2013 at 11:30pm — 8 Comments

मेरे प्रियतम!

हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम !

ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 

स्वप्न सुन्दर,सुमन सुन्दर,

किन्तु तुम सबसे सुन्दरतम।

गगन सुन्दर,नयन सुन्दर,

किलोलें करते ये हिरन सुन्दर।

नेत्रों की ये प्यास मधुर ,

और तुम सबसे मधुरतम।

हे मेरे प्रियवर,हे मेरे प्रियतम!

ये अद्भुत सृष्टि और तुम अनुपम।

 

रैन प्यारी,बैन प्यारे,

प्यारे ये आकाश के तारे,

प्यारे ये जल के फुब्बारे ,

और तुम सबसे अधिकतम।

हे मेरे प्रियवर,हे मेरे…

Continue

Added by Savitri Rathore on February 22, 2013 at 12:00am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service