नज़र में उलझन भरी हुई है, तमाम रस्ते उजड़ गये हैं ।
सँभलना जितना भी हमने चाहा, हम उतने ज्यादा बुरे गिरे हैं।
हमारे जैसा उदास कोई, हमें कहीं भी नहीं मिला पर,
हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं।
कभी नहीं वो कहेंगे हमसे, के उनके दिल में है प्यार अब भी,
सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं।
ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू ,जो बस गयी है मेरी रगों में,
ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें ग़म भी सजे हुए…
Added by मनोज अहसास on April 28, 2022 at 5:38pm — 6 Comments
2×15
दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी
ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी
एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक
हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी
टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती
तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी
मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए
खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी
दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई
इस मिट्टी के…
Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments
2122 2122 2122 212
वक्त इतना भी कठिन कब है,ज़रा महसूस कर।
एक रोशन दिन की ये शब है,ज़रा महसूस कर।
खुद को तन्हा कहना तेरी भूल है, इतना समझ
हर कदम साथी तेरा रब है,ज़रा महसूस कर।
मिल ही जाएगी तेरी मंज़िल अगर चलता रहा
रास्ता थोड़ा सा ही अब है,ज़रा महसूस कर।
तू नहीं पहला बशर है ठोकरों की चोट में,
सालों से चलने का ये ढब है ज़रा महसूस कर।
बेबसी, मायूसियाँ,नाक़ामियाँ, रुसवाईयाँ,
जिंदगी की ये ही तो…
Added by मनोज अहसास on January 26, 2022 at 11:00pm — 2 Comments
2122 2122 2122 212
बिन मेरे जब दिल तुम्हारा जीने के काबिल हुआ।
देख ले मझधार ही मेरे लिए साहिल हुआ।
जो नहीं है पास अपने उसकी बेचैनी के साथ,
उसको जाया कर दिया है जो हमें हासिल हुआ।
सामने आकर खड़ी हो जाती हैं सूरत कईं,
खुद में खुद को खोजना मेरे लिए मुश्किल हुआ।
कह नहीं पाया मैं अपने दिल की सारी बात पर,
तू मेरी ग़ज़लों में लगभग हर दफा शामिल हुआ।
वेदनाओं के सफर में साथ है तू हर घड़ी,
और तेरा…
Added by मनोज अहसास on September 2, 2021 at 11:51pm — 3 Comments
1222 1222 1222 1222
चलो अच्छा हुआ वो अब पता पाने नहीं आते ।
खलिश ये रह गई दिल में सितम ढाने नहीं आते।
मुझे उस पार के लोगों से बस इतनी शिकायत है,
सफर कैसा रहा वो ये भी बतलाने नहीं आते।
तमाशा बन गई है दोस्ती नफरत की दुनिया में,
पुराने यार भी मुश्किल में समझाने नहीं आते।
हमारी बात तो दिलकश तुम्हें लग ही नहीं सकती,
हमें तहज़ीब तो आती है अफसाने नहीं आते ।
झुलस जाती है मेरी सोच अनचाहे ख्यालों से…
ContinueAdded by मनोज अहसास on August 24, 2021 at 11:47pm — 3 Comments
221 2121 1221 212
वो सिलसिला मिला ही नहीं जो जुड़ा रहे।
हम सबके होके दोस्तो सबसे जुदा रहे।
दीवारें आंधियों का असर सह रही है पर,
ये देखना है घर मेरा कब तक खड़ा रहे।
टुकड़े तुम्हारी याद के दिल में समेटकर,
सारे जहां के रिश्तों से हम बावफ़ा रहे।
बचपन से ही उदास रही है मेरी नज़र,
दो चार रोज साथ तेरे खुशनुमा रहे।
तेरे क़रीब कौन है इसका मलाल क्या,
मेरे लबों पर बस तेरे हक़ में दुआ…
Added by मनोज अहसास on July 25, 2021 at 11:35pm — 2 Comments
1222 1222 122
खबर झूठी उड़ाना चाहता हूँ,
तेरी यादें छुपाना चाहता हूँ।
तुम्हारे पास थोड़ा वक्त हो तो,
मैं हाले दिल सुनाना चाहता हूँ।
रकीबों की गली में आ गया हूँ,
तेरे घर में ठिकाना चाहता हूँ।
जो मेरी जान के दुश्मन बने हैं,
उन्हीं के हाथ आना चाहता हूँ।
बवंडर क्यों उठा है सरहदों पर,
मैं सबको सच बताना चाहता हूँ।
सियासत ,घर के झगड़े, दिल की बातें
मैं सब से दूर जाना…
Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 8:39pm — 2 Comments
ग़ज़ल-221 1222 22 221 1222 22
इस बहर में मेरी ये पहली ग़ज़ल है यह मतला लगभग 2 वर्ष पहले हुआ था लेकिन यह ग़ज़ल पूरी नहीं हो रही थी इसका कारण यह है कि मैं इस बहर में सहज महसूस नहीं कर रहा था यह बहर मेरी समझ में ही नहीं आ रही आज किसी तरह यह पूरी हुई है जानकार लोग बताएं कि क्या यह बहर ठीक से निभाई गई है या नहीं....
मरने का बहाना मिल जाता, जीने की सज़ा से बच जाते,
इक बार कभी वो आ जाते जो आ न सके आते आते ।
महसूस कभी होता कैसे वो दर्द का रिश्ता टूट गया…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 12:06am — 7 Comments
2×15
वक़्त गुज़र जाएगा ये भी पल पल का घबराना क्या?
जो आँखों में ठहर न पाये उन सपनों से रिश्ता क्या?
अपनी मर्ज़ी का जीवन हो ज्यादा हो या थोड़ा हो,
मरना तो सबको है इक दिन घुट घुट कर फिर जीना क्या?
सोच समझ कर कदम बढ़ाना हर रस्ते पर धोखा है,
घर के किस्से,देश की बातें ,दीन धर्म का झगड़ा क्या?
पहली दफा जब मिले थे तुमसे वो दिन तो अब याद नहीं,
लेकिन अब तक सोच रहे हैं टूट गया वो रिश्ता क्या?
सबका भला करने की कोशिश कभी नहीं…
ContinueAdded by मनोज अहसास on June 29, 2021 at 12:40am — No Comments
2×11
बदहाली का एक समंदर सर पर है।
शहर की हालत वीरानों से बदतर है।
जिद पर तो बेशक मैं भी आ सकता हूँ ,
लेकिन मुझको बात बिगड़ने का डर है।
जो आँखों की भाषा समझ नहीं पाते,
उन लोगों से कुछ ना कहना बेहतर है।
लूट लिया जिसने आपस के रिश्तों को,
तुम लोगों की आँखों मे वो रहबर है?
नीव हिलाकर चीख रहे हैं झूठे लोग,
उनके पास योजना सबसे बढ़कर है।
एक इमारत है बनने की कोशिश में,
उसकी खातिर मुश्किल…
Added by मनोज अहसास on May 27, 2021 at 11:44pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
इक न इक दिन आपसे जब सामना हो जाएगा ।
जो भरम दिल में बचा है खुद रिहा हो जाएगा ।
इतने बुत मौजूद है तेरे खुदा के भेष में,
सजदा करते-करते तू खुद से जुदा हो जाएगा ।
सब पुराने पेड़ों को गर काट दोगे तुम यूं ही,
घर सलामत भी रहा तो लापता हो जाएगा।
ढूंढना अब छोड़ दे उस तक पहुँच का रास्ता,
खुद को पाले तो तू खुद ही रास्ता हो जाएगा ।
छोड़ दूँ शेरों सुखन और तेरी यादों का सफर ,
ऐसा करने…
Added by मनोज अहसास on April 8, 2021 at 12:14am — 3 Comments
1212 1122 1212 112/22
पुराने ख़त मेरे अब भी जो सामने होंगे,
तो पढ़के होंठ यकीनन ही कांपते होंगे।
सफर उदास रहा जिनकी आस में अपना,
किसी के साथ वो चुपचाप चल पड़े होंगे।
तुम्हारे होठों को छूकर करार पाएंगे,
इसी ख्याल से मिसरे बहक रहे होंगे।
बिछड़ के उनसे मैं कितना उदास रहता हूँ,
मैं सोचता हूँ वो अक्सर ये सोचते…
Added by मनोज अहसास on February 14, 2021 at 11:07pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
ये मानता हूँ पहले से बेकल रहा हूँ मैं,
लेकिन तेरे ख़्यालों का संदल रहा हूँ मैं।
अब होश की ज़मीन पर टिकते नहीं क़दम,
बरसों तुम्हारे प्यार में पागल रहा हूँ मैं।
हैरत से देखते हैं मुझे रास्ते के लोग,
बिल्कुल किनारे राह के यूँ चल रहा हूँ मैं।
मुझको उदासियां मिली है आसमान से,
चुपचाप इन के आसरे में जल रहा हूँ मैं।
साहिल पर जाके तू मुझे मुड़ कर तो देखता,
इक वक्त तेरी रूह की हलचल रहा हूँ…
Added by मनोज अहसास on January 28, 2021 at 11:35pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
अपनी खता लिखूं या ख़ुदा का किया लिखूं .
इस दौरे नामुराद को किसका लिखा लिखूं .
उठती नहीं है तेरी तरफ मेरी उंगलियां,
फिर कौन सी कलम से तुझे बेवफा लिखूं.
मैं तेरा नाम ला नहीं सकता बयान में,
अपने ख़्याल पर बता किस का पता लिखूं.
मेरी पुकार तो नहीं जाएगी आप तक,
मैं किसके जरिए साल मुबारक नया लिखूं.
है याद मुझको तेरा वो छूना मेरे क़दम,
तब कैसे खुद को तेरी नज़र से गिरा…
Added by मनोज अहसास on January 15, 2021 at 11:33pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
क्या है मेरे होठों की दुआ मैं भुला चुका.
किस तरह मानता है ख़ुदा मैं भुला चुका.
मेरे सभी गुनाहों को अब तू भी भूल जा,
तुझसे हुई है जो भी खता मैं भुला चुका.
असली खुशी दबी पड़ी है गर्त में कहीं,
अब उसको ढूंढने की अदा मैं भुला चुका.
नज़दीक से गुज़र के मेरे देख ले कभी,
वो तेरी रहबरी की हवा मैं भुला चुका.
मुझको पुकार ने की तो आदत सी हो गई,
पर किसको दे रहा हूँ सदा मैं भुला…
Added by मनोज अहसास on August 8, 2020 at 9:30am — No Comments
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
लाखों ग़म की एक दवा है, सोचो ! कुछ भी याद नहीं.
कोई शिकायत करने आए,कह दो कुछ भी याद नहीं.
हमने उसकी यादें जीकर उसकी याद के गीत लिखे,
उसने पढ़कर लिख भेजा है, उसको कुछ भी याद नहीं.
मेरी कहीं इक बात पे मेरा साथी रूठ गया मुझसे,
मैंने वफ़ा की याद दिलाई,वो तो कुछ भी याद नहीं!
मेरी तड़प तो भूलना बेहतर था तेरे जीने के लिए,
तुमने काटी थीं जो रातें रो-रो,कुछ भी याद नहीं?
सारे कागज़ के…
ContinueAdded by मनोज अहसास on August 6, 2020 at 12:12am — 2 Comments
2122 2122 2122 212
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अपनी धुन में सब मगन हैं किससे क्या चर्चा करें.
किसको अपना दिल दिखायें किसके ग़म पूछा करें.
अब हमारी धडकनों का मोल कुछ लग जाये बस,
चल चलें मालिक के दर पर और कोई सौदा करें.
ज़िन्दगी इस खूबसूरत जाल में लिपटी रही,
रात में लिक्खें ग़ज़ल दिन में तुझे सोचा करें.
दे सके तो दे हमें वो वक़्त फिर मेरे ख़ुदा,
रात भर जागा करें और खत उन्हें लिक्खा करें.
सारा जीवन एक उलझन के भँवर में फँस…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 29, 2020 at 1:30am — 5 Comments
2×15
इतने दिन तक साथ निभाया उतना ही अहसान बहुत.
दिल का क्या है, ख़ाली घर था, थे इसमें अरमान बहुत.
हैरानी से पूछ रहा था इक बच्चा नादान बहुत,
गर्मी के मौसम में ही क्यों आते हैं तूफान बहुत.
हद से ज्यादा देखभाल का कोई लाभ नहीं पाया,
मेरे हाथों मेरे घर का टूट गया सामान बहुत.
ऐसे ऐसे मोड़ हमारे रस्ते में आये यारो,
जिनमें फंसकर लगने लगा था जालिम है भगवान बहुत.
फिर इक दिन वो मुझसे मिलकर दिल की बात…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 18, 2020 at 11:50pm — 5 Comments
22 22 22 22 22 2
मेरे दिल का बोझ किसी दिन हल्का हो.
मिल ले तू इक बार अगर मिल सकता हो.
मुझको लगता है तू मुझको भूल गया,
तेरे मन में भी शायद कुछ धोखा हो.
तेज तपन के साथ है सूरज अब सर पर,
मेरी दुआ है तेरे सर पर कपड़ा हो.
मैं तुझको खुद में शामिल कैसे रक्खूँ,
तेरे नाम के आगे जब कुछ लिक्खा हो.
अब तो अपनेपन की तुझमें बात नहीं,
शायद तू अब मुझको ग़ैर समझता हो.
छोटी सी एक बात बतानी थी…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 5, 2020 at 4:35pm — 2 Comments
1222 1222 122
ज़माने भर में जितने हादसे हैं.
हमें ख़ामोश होकर देखने हैं.
किसी को चलने में दिक़्क़त न आए,
चलो इतना सिमट कर बैठते हैं.
मेरी बेबाकियों के रास्ते में,
मेरी कुछ ख़्वाहिशों के कटघरे हैं.
बिना जिसके हुआ था जीना मुश्किल,
उसी के होने से शिकवे गिले हैं.
तुम्हारी याद भी इक रोग है क्या,
तुम्हारे ख़त को छूते डर रहे हैं.
दलीले रह गई कमज़ोर मेरी,
वो अपनी बात कह कर जा चुके…
Added by मनोज अहसास on July 3, 2020 at 8:55pm — 6 Comments
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