For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Lata R.Ojha's Blog (58)

बस उड़ो..





Continue

Added by Lata R.Ojha on December 30, 2010 at 4:00pm — No Comments

चलते गए ..



Continue

Added by Lata R.Ojha on December 29, 2010 at 2:30am — 5 Comments

कैसे ???????

मेरी…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 29, 2010 at 2:00am — 3 Comments

मुखौटा सच का ..?

होंठ…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 27, 2010 at 1:00am — 6 Comments

मैने सॅंटा को देखा है ..

मानो…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 26, 2010 at 1:30am — 4 Comments

सुबह फिर आ गयी जागो ..

सुबह फिर…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 26, 2010 at 1:00am — 4 Comments

चल मेरे मन चलें वहाँ..



चल मेरे मन चलें वहाँ..  … Continue

Added by Lata R.Ojha on December 23, 2010 at 4:30pm — 6 Comments

ये..इश्क ही तो है..

चमकती चाँदनी के काजल सी रात..





सर्द हवा और तारों का साथ.. …



Continue

Added by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 2:00pm — 9 Comments

जो ढूंढ सको तो..

 …

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 1:30pm — 8 Comments

तुम जो साथ हो ...

 

कहा किसी ने 'बहुत ख्वाब सजाती हो तुम.
ज़िंदगी को भी सजाना सीखो.
नुस्खे जितने बताती हो ज़िंदगी जीने के,…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 11:30pm — 5 Comments

क्यों आज भी.....???

मैं भी कुछ लफ्ज़ तेरे बारे कह दूँ,

शायद तब दो घड़ी सुकून आए..…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 20, 2010 at 12:30am — 2 Comments

एक दीप कहीं यूँ भी जलाया होता........

एक दीप कहीं यूँ भी जलाया होता,


किसी नन्हे से दिल--दिमाग़ को रोशिनी…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 11, 2010 at 2:00am — 2 Comments

स्वप्निल सपने..



कुछ सशब्द,कुछ नि:शब्द सपने,



कुछ व्यक्त ,कुछ अव्यक्त सपने..



कुछ मौन कुछ कोलाहल पूर्ण..



कुछ सुंदर ,कुछ कुरूप सपने..





कुछ मधुर,कुछ कड़वे सपने..



कुछ तृप्त,कुछ अतृप्त सपने..



कुछ सजीव कुछ प्रस्तर खंड..



कुछ माने ,कुछ रूठे सपने..





कुछ शहनाई,कुछ बलि वेदी..



कुछ दुल्हन कुछ अरथी सपने..



कुछ ग्यान पूर्ण,कुछ अग्यानि..



क्च मानव कुछ… Continue

Added by Lata R.Ojha on December 6, 2010 at 12:30pm — 2 Comments

ले चल अपने देस पिया जी ..





ले चल अपने देस पिया जी , ये घर अब ना भाए..



जी चाहे,तेरी सुगंध ऐसे मुझ में बस जाए..



जो भी देखे मुझको ,मुझमें तेरी छाया पाए..





रोम रोम मेरा हर पल बस तेरी महिमा गाए..



मेरे होठों पे जब आएँ शब्द तेरे ही आएँ..





इस भौतिक जीवन में तो अब ना ये मनवा रम पाए..



दुनियादारी सोचने बैठूं, तुझमें सुध खो जाए..





ले चल अपने देस पिया जी ,ये घर अब ना भाए..



हर… Continue

Added by Lata R.Ojha on December 6, 2010 at 12:00pm — 3 Comments

जीवन बिसात के मोहरे मात्र..



इधर नब्ज़ थमती,उधर अश्कों की झड़ी..



इधर टूटती साँस और उधर संजोते हैं आस..



विरक्ति -आसक्ति, आसक्ति-विरक्ति का कैसा खेल??



हैं हम जीवन बिसात के मोहरे मात्र!







इधर गूँजती किल्कारी,उधर जाए कोई बलिहारी..



किसी के माथे पे,भविष्य की चिंता लकीरें..



ममत्व की छाँव तले,अबोध-बोध का निर्बाध मेल..



हैं हम..जीवन बिसात के मोहरे मात्र..







'राम नाम सत्य 'के… Continue

Added by Lata R.Ojha on November 29, 2010 at 1:07am — No Comments

थोड़ा समझो सच को..

मुट्ठी में ख्वाहिशों को बंद करके..



क्यों कहें ज़प्त कर लिया सबकुछ..



रेत जैसे हर बात फिसल जाएगी..



हाथ में झूठ के सच रुकेगा कैसे?





मैं हूँ पत्थर,नही कुछ भी महसूस होता..



आँखें बरसती नही जब भी कोई भूखा बच्चा रोता..



नही रूंधता कंठ तड़पती आहें सुन..



बस..धनलक्ष्मी के कदमों की हूँ आहट सुनता..





क्यों बहकते हो बस एक घूँट लहू का पी के..?



अभी ताउम्र टकराने हैं जाम ये छलकते..



जेब भरती…
Continue

Added by Lata R.Ojha on November 28, 2010 at 2:00am — 1 Comment

अजनबी...

एक एहसास है बाक़ी, तेरे साथ होने का..

एक डर सा कहीं ,तुझे खोने का..

एक द्वंद ,साहस और भय के बीच..

एक निर्णय,तुझ पे बोझ ना बनने का..



सांझ के धूंधलके में,एक ख्वाब सा..

तेरा साथ अपना सा,कुछ पराया सा..

चटखती,टूटती,सहमी सी प्रीत की डोर भी..

शायद..

डर है,तुझे खोने के डर के सच होने का..



सुना था,जो सच में अपना है वो लौट आता है..

जो लौटना ही हो तो क्यों जाता है?

कितने अरमानो को,एहसासों को,… Continue

Added by Lata R.Ojha on November 26, 2010 at 9:57pm — 1 Comment

मेरे तारे.



बैठी देख रही थी तारे..

जाने कितने ..कितने सारे..



छोटी थी तो गिनती थी..

ढेरों सपनों को बुनती थी..

'सप्तऋषि' 'ध्रुव' ढूँढती थी..

अनोखी आकृतियों पे हँसती थी..'



अक्सर देखा करती तारे..

जाने कितने..कितने सारे..

बीता बचपन,बदले सपने..

बदला ढंग देखने का तारे..



लगता था है मुझमें ज्ञान बहुत..

हर बहस जीत खुश होती थी..

अक्सर देखा करती तारे..

अब दूर बहुत लगते सारे..

कुछ…
Continue

Added by Lata R.Ojha on November 24, 2010 at 11:30pm — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service