Added by Manan Kumar singh on February 19, 2017 at 9:00am — 17 Comments
Added by Manan Kumar singh on February 14, 2017 at 8:39pm — 16 Comments
गाँव में होली
गाँव में होली अपनी उफान पर थी । चंदू के द्वार पर सुबह से ही चौपाल बैठ गयी थी । उनका भतीजा कहीं बाहर कुछ काम करता था । उसीने शराब की कुछ बोतलें घर भेज रखी थीं । गाँव में उसका बड़ा भतीजा रहता था ; कुछ काम का, न काज का, बस दोस्त समाज का !खाने –पीनेवालों का ताँता सुबह से उसके दर पे लगने लगा,मुफ्त में शराब और गोश्त के कुछ पर्चे मयस्सर जो हो रहे थे । बीच –बीच में माँ –बहन की भी हो जा रही थी। सुननेवालों के मजे –ही –मजे थे । हम भी अपने दरवाजे पर…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on February 12, 2017 at 7:41pm — 4 Comments
2122 2122 212
*****************
गीत कौवे गा रहे हैं आजकल
कंठ कोयल के भरे हैं आजकल।1
दुश्मनी सारी भुलाकर मसखरे
फिर गले से मिल रहे हैं आजकल।2
गालियाँ देते परस्पर जो रहे
प्रीत के सागर बने हैं आजकल।3
आज दुबके हैं सभी गिरगिट यहाँ
रंग बदलू आ गये हैं आजकल।4
कुर्सियों का ताव इतना बढ़ गया
धुर विरोधी भा गये हैं…
Added by Manan Kumar singh on February 7, 2017 at 7:00pm — 12 Comments
22222222
तीर चले चुन-चुन के कस-कस
मन तो भूला जाता सरबस।1
बूढ़ा बरगद बौराया है
अँगिया- गमछा करते सरकस।2
छौंरा- छौंरी छुछुआये हैं
पुरवा घर-घर करती बतरस।3
बढ़नी लेकर काकी दौड़ी
सच तो सहना पड़ता बरबस।4
फागुन की फुनगी अँखुआयी
चौरा-चौरा होता चौकस।5
आतुर होकर आज हवाएँ
ढूँढ़ रहीं निज मरकज,बेकस।6
मन का मीत कहीं मिल जाये
मनुआ दौड़ चला जस का तस।7
रंग चढ़ा जिसको,वह उछले
बाकी कहते,रहने दो…
Added by Manan Kumar singh on February 4, 2017 at 8:30am — 22 Comments
2122 2122 2122
आज तुम यह क्या किये बैठे हुए हो
बेवजह का गम लिये बैठे हुए हो।1
कौन सुनता है यहाँ कुछ बात ढब की
दिल नसीहत को दिये बैठे हुए हो।2
और होता मौन का मतलब यहाँ पर
क्या पता क्यूँ मुँह सिये बैठे हुए हो।3
बदगुमानों की यहाँ बल्ले हुई बस
आशिकी का भ्रम जिये बैठे हुए हो।4
एक से बढ़ एक नगमे बुन रहे…
Added by Manan Kumar singh on January 29, 2017 at 12:26pm — 16 Comments
2122 2122 212
देखिये सबको रिझातीं टोपियाँ
नाच कितनों को नचातीं टोपियाँ।1
आपकी धोती कहाँ महफूज है?
फाड़कर कुर्ते बनातीं टोपियाँ।2
जो नहीं सोचा कभी था आपने
रंग वैसे भी दिखातीं टोपियाँ।3
पीठ पर दे हाथ वे पुचकारतीं
पेट में ख़ंजर चुभातीं टोपियाँ।4
दोस्ती का दे हवाला हर बखत
दुश्मनी फिर-फिर निभातीं…
Added by Manan Kumar singh on January 26, 2017 at 9:51am — 6 Comments
22 22 22 22
तिरछी हो जाती नजरें हैं
अश्कों की कटती फसलें हैं।1
धड़कन माफिक साँसें चलतीं
प्यास बनी ये दो पलकें हैं।2
लहराती बदली-बाला तू,
उड़ जाती, फिर सपने टें हैं।3
खूब जमाये रंग सभी ने
अल्फाजी उनकी फजलें हैं।4
लोग लिये हैं संग विधाएँ
अपने पास महज गजलें हैं।5
.
मौलिक व अप्रकाशित@
Added by Manan Kumar singh on January 14, 2017 at 10:30am — 13 Comments
Added by Manan Kumar singh on January 9, 2017 at 7:00am — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on January 8, 2017 at 12:30pm — 11 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 11:15pm — 18 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 8:39am — 2 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 8:30am — 12 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 24, 2016 at 2:47pm — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 21, 2016 at 7:30pm — 10 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 15, 2016 at 8:00pm — 5 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 14, 2016 at 9:08am — 6 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 11, 2016 at 1:12pm — 11 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 4, 2016 at 8:01am — 10 Comments
बंद हुए बैंक नोट का आत्मकथ्य
दाँव पर लगता रहा मैं
आँख में सबकी बसा मैं।1
रूप बदला, रंग बदला,
रात-दिन चंचल चला मैं।2
बन जिगर का पुरशकूं क्षण
घर भरा,कितना सहा मैं।3
फिर चलन से दूर होकर
बे-चलन अब हो गया मैं।4
रो रहा,जगता 'बटोरू',
चैन से अब सो रहा मैं।5
मौलिक व अप्रकाशित@मनन
Added by Manan Kumar singh on December 1, 2016 at 4:30pm — 10 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |