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PHOOL SINGH's Blog – January 2019 Archive (3)

नींद जो कहलाती हूँ

श्रांत स्लॉथ हो, जब
घर, लौट के आता
तुझे विश्राम कराती हूँ,
हर थकान को मैं, मिटाकर
आराम तुझे दिलाती हूँ,
नींद जो कहलाती हूँ||
.
हर व्यथा और तिरस्कार को,
मैं भुलाकर
सपनों की सैर कराती हूँ
विचित्र दुनियाँ में
तुझे घुमाकर,
ख़ुशी तुझे दिलाती हूँ,
नींद जो कहलाती हूँ||
.
कभी नृप कभी रंक बनाकर
ब्रह्मांड का खेल दिखाती…
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Added by PHOOL SINGH on January 9, 2019 at 3:00pm — 3 Comments

फूल की कहानी -फूल की जबानी

मैं सक्षम, हूँ विलक्षण

निर्मल करता, विचलित मन

पुलकित कर तेरे, तन मन

सुगन्धित करता, वन उपवन

प्रकृति का श्रृंगार कर

महक का प्रसार कर

चिंतन करता हर एक क्षण

खुशियाँ देता मैं पल पल

न्योछावर अपना जीवन कर

कभी मंदिर, कभी जमी में

कभी रेंगता धूलि में

जीवन की प्रवाह ना कर

खुशियाँ बाटता हर एक क्षण

कभी कंठ की शोभा बनता 

कभी बढाता शोभा शव

कभी गजरा नारी बनता

कभी में देता सेज सजा

क्षण भर के…

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Added by PHOOL SINGH on January 7, 2019 at 4:30pm — 4 Comments

एक वीर, ऐसा जन्मा था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था, सोचा था तब, किसी ने

“ऐसा” कारनामा, उसे करना था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था ||

 

जीवन के संघर्षो से, ना उसे कभी

डरना था, रूढ़िवादी धारा को भी,

उसे, आगे जा बदलना था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था ||

 

सती हो जाती थी, जो नारी,

सुहाग गंवाने पर, “पुर्नविवाह”,

का अधिकार, उसे दिलाना था

महिलाओं के उत्पीड़न की…

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Added by PHOOL SINGH on January 3, 2019 at 4:34pm — 2 Comments

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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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