For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – January 2021 Archive (7)

निष्ठुर नगर -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२२/१२२२/१२२२/१२



नहीं कुछ गाँव सा सुनता हुआ निष्ठुर नगर

दिखाने घाव मत  जाना सखा निष्ठुर नगर।१।

*

उसे डर है कि उसके हित कमीं आजायेगी

नहीं देता किसी  का  भी  पता निष्ठुर नगर।२।

*

नदी सूखी हुई  कहती  है  प्यासे खेत से

तेरे हिस्से का पानी पी गया निष्ठुर नगर।३।

*

कहाँ तुम बात दुख की यार करते हो भला

खुशी तक में अकेला ही दिखा निष्ठुर नगर।४।

*

निकल पाया न खुद के व्यूह से सायास…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2021 at 8:59am — 9 Comments

दो आशीष नया हो भारत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२२



दो आशीष  नया हो भारत

जग में और बड़ा हो भारत।१।

*

आयु बढ़े नित जितनी इसकी

उतना  और  युवा  हो  भारत।२।

*

ज्ञाता हो विज्ञान का लेकिन

साथ ही वेद पढ़ा हो भारत।३।

*

दुख  के  नाले  सब  सूखे  हों

सुख का एक किला हो भारत।४।

*

जिनके घर ढब बन्द पड़े हैं

कहते और खुला हो भारत।५।

*

उनको सबक सिखाना वीरों

जिनकी चाह डरा हो भारत।६।

*

सीमाओं का द्वन्द मिटाकर

दोनों ओर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 25, 2021 at 8:30am — 9 Comments

ढूँढा सिर्फ निवाला उसने - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२/२२/२२/२२



तोड़ के घर का ताला उसने

ढूँढा सिर्फ निवाला उसने।१।

*

लत पीने की ऐसी लगायी

बेच दी माँ की माला उसने।२।

*

खुद औरों के कन्धे पर चढ़

कहता बोझ सँभाला उसने।३।

*

दूध पिलाना था बच्चों को

पर नागों को पाला उसने।४।

*

जिसको हमने माना सूरज

रोका नित्य उजाला उसने।५।

*

जिसको सब खोटा कहते हैं

सिक्का वही उछाला उसने।६।

*

अपनों को ही चोट है मारी

फेंका जब जब भाला…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2021 at 6:35am — 10 Comments

चाँद को जब बदसूरत करने - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२/२२/२२/२२


दुनिया जिससे डरती होगी
प्यार न उससे करती होगी।१।
*
जैसा इसको नोच रहे हम
कैसी कल ये धरती होगी।२।
*
चाँद नगर क्या जाना यारो
भूमि वहाँ भी  परती होगी।३।
*
जितना विष हम पिला रहे हैं
नित्य नदी  एक  मरती होगी।४।
*
चाँद को जब बदसूरत करने
दुनिया  रोज  उतरती  होगी।५।
*
धरती के मन की हर पीड़ा
पलपल और उभरती होगी।६।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 15, 2021 at 8:04am — 4 Comments

सब कुछ है अब यार सियासी- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२/२२/२२/२२



जनता पर हर वार सियासी

नेता  की  है  हार  सियासी।१।

*

खून खराबा झेल रहा नित

होकर यह सन्सार सियासी।२।

*

बाहर बाहर फूट का दिखना

भीतर जुड़ना  तार सियासी।३।

*

बस्ती में  आने  मत देना

कोई भी अंगार सियासी।४।

*

घर  फूटेगा  हो  जाने  दो

बातें बस दो चार सियासी।५।

*

देश का पहिया जाम पड़ा है

दौड़ रही  बस कार  सियासी।६।

*

संकट का क्या अन्त करेगा

झूठा हर  अवतार  सियासी।७।

*

दम घोटे है नित जनता…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 6, 2021 at 10:17am — 12 Comments

औरों से क्या आस रे जोगी-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२२/२२/२२/२२



मन में जब है प्यास रे जोगी

क्या लेना  सन्यास  रे जोगी।१।

*

महलों जैसे  सब  सुख भोगे

क्यों कहता बनवास रे जोगी।२।

*

व्यर्थ किया क्यों झूठे मद में

यौवन का मधुमास रे जोगी।३।

*

हम से कहता वासना त्यागो

छिप के करता रास रे जोगी।४।

*

खुद ही जब ये निभा न पाया

औरों से  क्या  आस रे जोगी।५।

*

मत कह बन्धन मुक्त हुआ है

तू भी हम  सा  दास रे जोगी।६।

*

तन का है या मन…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2021 at 7:30am — 6 Comments

भूल मन पीड़ा विगत की गा रहा है - लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' (गजल)

२१२२/२१२२/२१२२



भूल मन पीड़ा विगत की गा रहा है

शुभ रहे नव  वर्ष  ये  जो आ रहा है।१।

*

आँख जब आँसू झराने को विवश थी

अन्त उस मौसम  का होने जा रहा है।२।

*

जिन्दगी होगी सुहानी आज से फिर

भोर का  सूरज  हमें  समझा रहा है।३।

*

बह न पाए फिर लहू इन्सानियत का

ये वचन मन को  सभी के भा रहा है।४।

*

पेट भर भूखे को रोटी नित मिलेगी

साथ यह उम्मीद  साथी  ला रहा है।५।

*

बाँटना …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2021 at 8:25am — 11 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
15 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
22 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
59 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service