For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धारावाहिक गजल भाग -1 ( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

2122    2122    2122
***********************
डूबता  हो  सूर्य तो अब डूब जाए
मत कहो तुम रोशनी से पास आए /1
******
एक अल्हड़ गोद में शरमा रही जब
चाँद से  कह दो नहीं वह मुस्कुराए /2
******
थी  कभी  मैंने लगायी बोलियाँ भी
मोलने पर तब न मुझको लोग आए /3
******
आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर
व्यर्थ  अब  बाजार जो कीमत लगाए /4
******
कामना जब मुक्ति की थी खूब मुझको
बाँधने  सब  दौड़ कर नित पास आए /5

रास  आया  है मुझे  जब  आज बंधन
लोग क्यों हैं इस तरह से तिलमिलाए/6
******
है मेरी निजता इसे मत भंग करना
छाँव  देते  जब  मुझे   ये केश भाए /7
******
इसलिए अब द्वार आए मुक्ति भी तो
चाहता   हूँ   बिन  पुकारे   लौट  जाए /8

******
देखना जब चाहता  था स्वप्न मीठे
वक्त आया धंुध की चादर उठाए /9

******
हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की
मुश्किलों  से  भीगते  आँचल सुखाए /10
******
हो गया  अब  छाँव में  साकार सपना
सूर्य  से बोलो अधिक मत तमतमाए /11
******
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2015 at 9:58am

आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर
व्यर्थ  अब  बाजार जो कीमत लगाए-----बहुत खूब उम्दा 
हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की
मुश्किलों  से  भीगते  आँचल सुखाए ----वाह्ह्ह्ह 

बढ़िया ग़ज़ल कही है लक्ष्मण भैय्या बहुत- बहुत बधाई. 

Comment by khursheed khairadi on February 12, 2015 at 12:31am

हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की
मुश्किलों  से  भीगते  आँचल सुखाए /10
******
हो गया  अब  छाँव में  साकार सपना
सूर्य  से बोलो अधिक मत तमतमाए /11

आदरणीय लक्ष्मण साहब उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by Hari Prakash Dubey on February 11, 2015 at 8:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब

/डूबता हो सूर्य तो अब डूब जाए

मत कहो तुम रोशनी से पास आए/ शानदार....बधाई शानदार !

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 11, 2015 at 1:41pm

आदरणीय धामी जी

सुन्दर रचना  i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 9, 2015 at 11:54pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी सर जी सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

Comment by somesh kumar on February 9, 2015 at 10:33pm

कुछ-कुछ दुष्यंत कुमार की गजलों वाला अंदाज़ लग रहा है |बधाई 

Comment by Samar kabeer on February 8, 2015 at 10:40pm
जनाब,लक्ष्मण धामी जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service