For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले

दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले।
बेवफ़ा तुझको पुकारेंगे ज़माने वाले॥

प्यार में खाईं थी क़समें भी किए थे वादे,
क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले॥

झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥

सर झुकाये हुए कूचे से निकल जाते हैं,
हैं पशेमान बहुत मुझको सताने वाले॥

बाद मरने के अब उस शख़्स की क़ीमत समझे,
जीते जी जिसको न पहचाने ज़माने वाले॥

दाग़ दामन के भी क्या अपने कभी देखे हैं,
मुझपे इल्ज़ाम सरे आम लगाने वाले॥

मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥

फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥

मयकदा, रिंद, पैमाना सब आज रूठे हैं,
रूठे रूठे से है ये जाम पिलाने वाले॥

बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारो,
मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥

ये सिला देखो मोहब्बत में मिला है “सूरज”,
ठोकरें मुझको लगातें हैं ज़माने वाले॥

डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 3:30pm

मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥

 इतना जुल्म किस लिए 

बधाई 

Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 1:04pm

क्या बात है  'सूरज' जी,
किसी एक  के लिए क्या कहूँ ....सभी अशआर  खूब हैं ...बहुत खूब हैं
__बधाई प्रभु !

Comment by Vipul Kumar on June 25, 2012 at 9:30am

Surya sahab, bahut umda ghazal hai. ash'ar ko khubsurati se adaa kiya hai aapne......

vale "yaaroN" ki jagah "yaaro" lafz aayega. ye aap confirm kar leN.

aur मयकदे, रिंद औ पैमाने सभी रूठे हैं, misre ki bahr meN aapne "Rind" aur "o" ke wazn ko juda kar diya hai vale -o- "waav-e-atf" ki waj'h se "rind" ke daal se visal hokar ek hi aawaz dega. iski bah'r ke baare meN bhi rahnumaii ata farmaayeN....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 23, 2012 at 10:49pm

झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥

फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥

बहुत खूब सूरज भाईजी. 

मक्ता भी शानदार हुआ है मग़र थोड़ा और कुछ आयाम दिया होता तो यह जानदार भी होता.  :-)))

हृदय से बधाई.. .

Comment by AVINASH S BAGDE on June 23, 2012 at 8:17pm

झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,

उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥...tank-jhank kyo...seedha dekh le..

 


बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारों,

मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥...sahi suna hai..

 

umda gazal Bali sahab...

 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 23, 2012 at 1:46pm

wah soorya ji bahut khoobsoorat ghazal kahi he aapne padhkar maza aa  gaya bahut bahut mubarak bad pesh karta hoon kubool karein

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 23, 2012 at 1:16am

फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,

ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥

बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारों,

मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥

आदरणीया डॉ सूरज भ्राता जी ...बहुत सुन्दर गजल ...आनंददायी ..सुन्दर सन्देश  के साथ   ...भ्रमर ५ 

 

Comment by Raj Tomar on June 22, 2012 at 10:28pm

बहुत उम्दा सर जी.
"

मयकदे, रिंद औ पैमाने सभी रूठे हैं,

रूठे रूठे से है ये जाम पिलाने वाले॥"

Comment by Rekha Joshi on June 22, 2012 at 9:34pm

आदरनीय सूरज जी ,

फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,

ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले,सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 22, 2012 at 6:43pm

ये सिला देखो मोहब्बत में मिला है तुझको सूरज 

ठोकर को भी प्यार से गले लगाने वाले तुम सूरज 
दुआओ से बच के आ गए चलो खैर मनाओ 
डूबने वाले की शांति के लिए ईश को रिझाओ 
सुन्दर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service