बहर-।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
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कभी चाँदनी छूने आया करेगी।
सितारों की ज़ीनत बुलाया करेगी॥
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बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
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भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।
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परिंदों की परवाज़ क्या खूब होगी,
हवा जब उन्हें आज़माया करेगी।
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नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।
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ज़रा सी किसी बात पे रो पड़ूँगा,
कभी ज़िंदगानी हँसाया करेगी।
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कहूँगा उदासी भरा शेर कोई,
अगर याद तेरी सताया करेगी।
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किसी और का नाम ले के जवानी,
'रवी' की कहानी सुनाया करेगी।
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-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-23.12.2013
Comment
नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।..
गज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब ! आपके इस शेर पर विशेष बधाई रवि प्रकाशजी..
वाह वाह भाई रवि प्रकाश जी कामयाब जिंदाबाद ग़ज़ल कही है आपने एक एक शेर अपनी छाप छोड़ रहा है ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं भाई. दो शेर तकाबुले रदीफ़ के दोष में उन्हें सुधार लें.
क्या खूब गज़ल हुई, बधाई आ. रवि प्रकाश भाई।
बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
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भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।....वाह आदरणीय बहुत खूब
कहूँगा उदासी भरा शेर कोई,
अगर याद तेरी सताया करेगी।...........बहुत खूब.
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