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राजनीति में पार्टियाँ निभा रहीं पहचान
डंडे पत्थर गालियों  का आदान-प्रदान

जो बोले तू झूठ वो   मैं बोलूँ वो तथ्य
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य

झंडे टोपी भीड़ से  रोचक दिखे प्रसंग
देख जमूरा नाचता पब्लिक होती दंग  

जो जितना दम चीखता, उतना पाये मान
लोकतंत्र का रूप यह, अब इसकी पहचान  

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार
**************
--सौरभ
**************

(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 7, 2014 at 7:43pm

इन छंदों को अनुमोदित करने के लिए आपसभी सुधीजनों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2014 at 6:47pm

आदरणीय सौरभ भाई , सुन्दर सामयिक दोहों के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Shyam Narain Verma on March 7, 2014 at 4:13pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 6, 2014 at 11:07pm

पांच चुनावी दोहरे, राजनीति पर चोट |

सफल हुआ श्रम आपका, बाहर आया खोट || 

आदरणीय सौरभ सर को कोटिशः बधाइयां

Comment by नादिर ख़ान on March 6, 2014 at 10:22pm

जो बोले तू झूठ वो   मैं बोलूँ वो तथ्य 
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य .....लफ़्फ़ाजियों का समय आ गया है।  

जो जितना दम चीखता, उतना पाये मान 
लोकतंत्र का रूप यह, अब इसकी पहचान.....  सही कहा सर चिल्लाकर खुद को उठाने की कोशिश हो रही है, मगर वहम है ....

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’ 
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार .... बहुत सही कहा चट्टे-बट्टे यार..

अदरणीय सौरभ जी बहुत खूब कहा और बहुत सही भी ........

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 6, 2014 at 10:14pm

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’ 
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार 

आदरणीय गुरुदेव 

सादर अभिवादन 

दोहे ये तो पांच हैं 

पार्टी हैं पचास 

वक्त इनका आज है 

मिलकर खायेंगे घास 

मिलकर खायेंगे घास 

रेस कोर्स में दौडेंगे 

मिले रस्ते में जो तुम

देख  अपना मुह मोडेंगे 

सादर बधाई, 

Comment by Maheshwari Kaneri on March 6, 2014 at 9:25pm

सुन्दर और सामयिक दोहे , बहुत खूब...हार्दिक बधार्इ सौरभ जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 6, 2014 at 8:21pm

यथार्थ भाव रचित सुन्दर और सामयिक दोहे | हार्दिक बधाई आदरणीय 

Comment by Neeraj Neer on March 6, 2014 at 7:24pm

वाह आदरणीय , बहुत खूब ..सुन्दर दोहे सामयिक एवं यथार्थपरक ..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 6, 2014 at 7:17pm

आ0 सौरभ सर जी, बहुत खूब...। लोकतंत्र की चिलम में सभी पार्टियां दम लगाकर अजमा रहे है। आपने यथार्थ कटु सत्य वचन ही कहा है। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। सादर,

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