राजनीति में पार्टियाँ निभा रहीं पहचान
डंडे पत्थर गालियों का आदान-प्रदान
जो बोले तू झूठ वो मैं बोलूँ वो तथ्य
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य
झंडे टोपी भीड़ से रोचक दिखे प्रसंग
देख जमूरा नाचता पब्लिक होती दंग
जो जितना दम चीखता, उतना पाये मान
लोकतंत्र का रूप यह, अब इसकी पहचान
’तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’
लक्कड़-बग्घा लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार
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--सौरभ
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(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
इन छंदों को अनुमोदित करने के लिए आपसभी सुधीजनों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ.
सादर
आदरणीय सौरभ भाई , सुन्दर सामयिक दोहों के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
|
पांच चुनावी दोहरे, राजनीति पर चोट |
सफल हुआ श्रम आपका, बाहर आया खोट ||
आदरणीय सौरभ सर को कोटिशः बधाइयां
जो बोले तू झूठ वो मैं बोलूँ वो तथ्य
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य .....लफ़्फ़ाजियों का समय आ गया है।
जो जितना दम चीखता, उतना पाये मान
लोकतंत्र का रूप यह, अब इसकी पहचान..... सही कहा सर चिल्लाकर खुद को उठाने की कोशिश हो रही है, मगर वहम है ....
’तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’
लक्कड़-बग्घा लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार .... बहुत सही कहा चट्टे-बट्टे यार..
अदरणीय सौरभ जी बहुत खूब कहा और बहुत सही भी ........
’तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’
लक्कड़-बग्घा लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार
आदरणीय गुरुदेव
सादर अभिवादन
दोहे ये तो पांच हैं
पार्टी हैं पचास
वक्त इनका आज है
मिलकर खायेंगे घास
मिलकर खायेंगे घास
रेस कोर्स में दौडेंगे
मिले रस्ते में जो तुम
देख अपना मुह मोडेंगे
सादर बधाई,
सुन्दर और सामयिक दोहे , बहुत खूब...हार्दिक बधार्इ सौरभ जी
यथार्थ भाव रचित सुन्दर और सामयिक दोहे | हार्दिक बधाई आदरणीय
वाह आदरणीय , बहुत खूब ..सुन्दर दोहे सामयिक एवं यथार्थपरक ..
आ0 सौरभ सर जी, बहुत खूब...। लोकतंत्र की चिलम में सभी पार्टियां दम लगाकर अजमा रहे है। आपने यथार्थ कटु सत्य वचन ही कहा है। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। सादर,
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