For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम मेरे कौन हो

तुम मेरे कौन हो?

तुम मेरे कौन हो ?

उषा सिंदूरी या चाँदनी रात

उषा जिससे ज़िन्दगी का अन्धेरा जाता है

जिसके स्पर्श से जीवन लहराता है

खिल उठते हैं जिसके दर्शन से बेल-बूटे

पशु मचल उठते हैं छुड़ाने को खूटे

विह्ग कलरव गातें हैं पंख पसार

क्या तुम्ही हो वो मेरी उषा नार

याकि तुम हो चाँदनी-रात

स्निग्ध शीतल करुणामयी

हरती मेरा पीड़ा संताप

भूल जाता हूँ एकाकीपन, ठहर जाता है मन

होते हो जब भी पास|

क्या तुम ही हो मेरी चाँदनी रात?|

तुम मेरे कौन हो ?

स्वस्थ सपन या निर्बोझ नींद

सपन जिससे नींद की ठनती रही है

कितनी मृग-मरीचिका पलती रही हैं

हो छलावा लेकिन क्षणों का खुशनुमा अहसास

तो बताओं हो क्या तुम मेरा सलोना सपन

याकि तुम हो मेरी वो नींद जो लोटती है

तो करवटें गिनती नहीं

अपने अस्तित्व के सिवाय कुछ गुनती नहीं

वो नींद जिसका होना है रंग भर आकाश

जिसमें स्वपन का ज्वार भी ले आता है तुम्हारे पास

तो क्या तुम्ही हो मेरी वो गुनगुनी नींद |

तुम मेरे कौन हो ?

मेरी निश्छल आत्मा या मेरी ग़ात

आत्मा जो मुझमें रहती है ओझल

जैसेकि हवा बहती है, रखती है मुझको-मुझ सा

यूँ जैसे काली निशा में दिव –प्रकाश

याकि तुम हो मेरी ग़ात

जो वास्तविकता है स्पष्ट दिखता है

पर धोखा है जिसका आभास

तो तुम बताओं तुम मेरे कौन हो ?

.

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित ) (२१/०८/२००८)

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 12:27pm

बहुत खूब भाई सोमेश कुमार जी।

Comment by somesh kumar on November 26, 2014 at 8:13pm

सभी विद्वान् मित्रों /अग्रजों को रचना को पढ़ने और उत्साहवर्धन के लिए तहे दिलसे शुक्रिया 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 26, 2014 at 6:18pm

pyaaree rachnaa

Comment by harivallabh sharma on November 26, 2014 at 3:16pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय सोमेश जी..दोनों पक्षों में कितना कुछ मिल रहा स्नेह में,,,सुन्दर चित्रण..बधाई आपको.

Comment by विनोद खनगवाल on November 26, 2014 at 2:14pm
आदरणीय सोमेश जी, बहुत ही सुंदर कविता है। मेरी बधाई स्वीकार करें।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 26, 2014 at 12:58pm

सोमेश जी

बहुत सुन्दर , भावपूर्ण  कविता  i आपको बधाई  i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2014 at 10:55am

अति सुंदर हार्दिक बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 1:47am

सोमेश भाई ,सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 9:25pm

सुन्दर प्रस्तुति ..बहुत खूब 

Comment by maharshi tripathi on November 25, 2014 at 9:25pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई |       सर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
12 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service