Comment
आदरणीय समर सर आपकी हर ग़ज़ल का मैं इंतज़ार भी करता हूँ और उससे सीखने की कोशिश भी करता हूँ ..हमेश की तरह शानदार इस रचना पर ढेरों बधाई स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।बेहतरीन गज़ल।
पास है जिनके दौलत-ए-ईमाँ
उन पर आता नहीं अज़ाब कोई
सुनके मेरी ग़ज़ल कहा उसने
अपने फ़न में है कामयाब कोई.
सबसे उनको छुपा के रखता हूँ
तोड़ डाले न मेरे ख़्वाब कोई.
आमने सामने हों जब दोनों
उनको देखे कि माहताब कोई.
वाह वाह आदरणीय समर सर जी ,, बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने ,,, इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से दाद हाज़िर है सर जी
आदरणीय समर साहब, आदाब,
खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.
सादर
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ,
पूरी ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद।
................................
ख़ून-ए-जिगर से तूने सवाँरी है हर ग़ज़ल
तेरे सुख़न का रंग कोई काग़ज़ी नहीं
मेरे ग़म का है सद्दे बाब कोई
आपके पास है जवाब कोई
सुनके मेरी ग़ज़ल कहा उसने
अपने फ़न में है कामयाब कोई---वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह आद० समर भाई जी ,बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दिल से दाद हाजिर है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online