For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन/फ़इलुन

इसलिये आने से कतराते हैं ईमाँ वाले

तेरे कूचे में उधम करते हैं शैताँ वाले

.

ये किसी ख़तरे की आमद का इशारा तो नहीं

ख़्वाब क्यों मुझको दिखाता है वो तूफ़ाँ वाले

.

और सब कुछ यहाँ तब्दील हुआ है लेकिन

घर में दस्तूर हैं अब तक वही अम्माँ वाले

.

बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो

कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले

.

रह्म करना किसी बिस्मिल पे गवारा ही नहीं

कितने सफ़्फ़ाक हैं देखो ये परिस्ताँ वाले

.

काँप जाता है ये दिल,रूह लरज़ जाती है

याद आते हैं सफ़र जब वो बयाबाँ वाले

.

मेरे जज़्बात वही शख़्स समझ सकता है

जिसने अफ़साने सुने होंगे दिल-ओ-जाँ वाले

.

याद जब घर की सताए तो,रिहाई के लिये

आसमाँ सर पे उठा लेते हैं ज़िनदाँ वाले

.

अपने मज़हब की किताबों से गुरेज़ां हैं सब

गीता वाले हों "समर"या कि हों क़ुरआँ वाले

------

आमद-आना

बिस्मिल-ज़ख़्मी

जिन्दां-;क़ैद ख़ाना

गुरेज़ां-भागने वाले

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on April 7, 2018 at 11:24am
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । सादर
Comment by Mohammed Arif on April 7, 2018 at 8:06am

इसलिये बच के निकल जाते हैं ईमाँ वाले

तेरे कूचे में उधम करते हैं शैताँ वाले वाह! वाह!! बहुत ख़ूब ! 

                इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 7, 2018 at 4:47am
आदर्णीय समर कबीर साहब खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई। याद आते हैं सफर जब वो बयबां वाले। क्या कहने। पुन:मुबारकबाद कुबूल फरमायें
Comment by TEJ VEER SINGH on April 6, 2018 at 10:05pm

हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब । लाज़वाब गज़ल।

बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो

कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले

Comment by Harash Mahajan on April 6, 2018 at 9:45pm

आदरनीय समर जी एक बेहतरीन पेशकश सर ।

"याद जब.......ज़िनदाँ वाले"

खूब सर ।

सादर

Comment by Sushil Sarna on April 6, 2018 at 9:14pm

बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो

कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले
बहुत सुंदर आदरणीय समर कबीर साहिब .... इन खूबसूरत अहसासों की ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाने सर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2018 at 9:00pm

वाह वाह वा..आ. समर सर 
बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ... अम्माँ वाले शेर का जवाब तो  मुन्नवर राणा के पास भी नहीं होगा ..
जब आपने फोन पर ग़ज़ल सुनाई थी तो मैं शायद चूक गया लेकिन पढ़ कर मतले में एक नया एंगल देख रहा हूँ ..मानों शैताँ वालों के उधम के कारण ईमाँ वाले बच जाते हैं . बच के की जगह कतरा के होगा तो और खुल जायेगी बात...वैसे उधम शब्द बहुत ख़ूब लाये हैं आप ...
ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service