For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjay Rajendraprasad Yadav
  • Male
  • Maharashtra
  • India
Share on Facebook MySpace

Sanjay Rajendraprasad Yadav's Friends

  • Rekha Joshi
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • aashukavi neeraj awasthi
  • Bishwajit yadav
  • Shyam Bihari Shyamal
  • Anand kumar Ojha
  • Tapan Dubey
  • rajendra kumar
  • Er. Ambarish Srivastava
  • AjAy Kumar Bohat
  • shalini kaushik
  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'
  • Anita Maurya
  • Deepak Sharma Kuluvi

RSS

Loading… Loading feed

 

Sanjay Rajendraprasad Yadav's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Mumbai,Maharashtra
Native Place
Jaunpur,Uttar Pradesh
Profession
Sarvice
About me
Social workar

 

"मंजिल थी बिलकुल करीब  बस थोड़ा और साथ चलने की थी जरुरत,थोड़े  आप और चले होते थोडा मै चला होता, तो आज अपनी चाहत का एक खुबसूरत आशियाना होता.हमारे सपने जब  अपने आखिरी बुलंदियों पर थे. हमारी मंजिल कुछ फसलो की दुरी पर थी,तो आप अचानक सारे प्यार वफ़ा भुलाकर साथ छोड़ दूसरी राह पकड़ लिए,अगर आप को हमारा साथ छोड़ना ही था तो जिंदगी में इतने सारे उतार चडाव आये हमें इतनी दूर तक साथ आने तक तभी आप साथ क्यूँ नहीं छोड़ दिए.किस जन्म की सजा आप दिए मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,मैंने अपना सब कुछ एक तुम्हारे प्यार के खातिर कुर्बान करते आया तुम्हारी हर हसरत मैंने पूरी करने की कोसिस  की,और पूरी भी की.आप ऐसी जगह पे हमारा साथ छोड़े हमें यह समझ नहीं आ रहा है की यहाँ से वापस मै क्या लेके जाऊ,अब और किस मंजिल को पाने आगे को जाऊ...........................?" 

Sanjay Rajendraprasad Yadav's Blog

होने दो.........!!!

आँखों से अश्कों को सूखने ना दीजिएगा इसे और गिरने दो
इस दर्द को और न रोको इसे और होने दो !
आखिरी मोड़ मेरे इंतज़ार में बाहें फैलाये है
उस सुकून भरी काली रात को अब आने भी दो !!

याद कभी मरेगी नहीं भले हो जाओ कितना भी दूर
ढूंढने दो जरा पता उनका थक के जब ना हो जाऊं चूर
है तुमसे बस इतनी ही दुवा करना मेरे लिए
की अपनी याद़ों को मेरे दिल से कभी जाने ना दो !!

Posted on August 11, 2012 at 4:39pm — 8 Comments

हे अभी.

हे अभी.

आपकी बहुत याद आ रही है दिल बार-बार सोच रहा है क्या करूँ .आपके बारे में तरह -तरह के ख्याल दिल में आ रहे है ! सोचता हूँ की येसा कैसे हो सकता है की जो इंसान एक दुसरे के देखे बगैर उसे कभी चैन नहीं पड़ता था,बगैर बाते किये खाने का एक निवाला नहीं लेता था आज ओ इस तरह भूला कैसे दिया ,आखिर उसका दिल भी तो भगवान् ने ही बनाया होगा !

हे अभी.

जो बीत गया ओ कल और जो आज चल रहा है ऐ तो आप अपनी ख़ुशी के खातिर अपनी सुख सुबिधाओ के लिए आप जी रहे हो ! आप ने अपने प्यार और वफा को तो आप अपने पैरो…

Continue

Posted on June 4, 2012 at 10:25am — 1 Comment

मै निराश हूँ……………….

कभी तो मेरा प्यार तुम्हे याद आयेगा ,

कभी तो तुम्हारा दिल मेरे लिए तड़पेगा ,

जैसे की आज मै तड़पता हूँ, ,

सुबह को न सही, दोपहर को न सही ,

शाम को न सही ,रात को न सही ,

अपने मिलन की कोइ घडी तो याद आएगी ?

जब कोइ तुम्हारा दिल दुखायेगा ,

तब मेरा प्यार याद आयेगा ,

कभी तो तुम्हारा दिल तड़पेगा ?

जैसे आज मै तड़पता हूँ, ,

तुम मेरे बेगैर एक पल भी नहीं रह पाते थे ,

मुझे न देखने पर बेचैन हो जाते थे ,

अब ओ प्यार कहाँ गया…

Continue

Posted on June 18, 2011 at 4:00pm — 4 Comments

ये कैसा प्यार ?????

तुमने चाहा मेरा वजूद ही मर जाए  
किन्तु तुम्हारे प्यार में मै बुत था,

मेरे प्रेम तप से अनजान बने क्यूँ. 
क्या तुम्हें मेरा विश्वास कम था...........,

तुम शौके बहार बन आए जीवन में 
मैंने भी सब कुछ नाम किया तुम्हारे
प्रीत प्याले को हाथ में देकर
तुम अमृत की जगह विष दे डाले.......  

तुम एक प्रेयसी बन के आए थे
तुम्हारी खुशबू से महक उठा मै 
नए जोश उमंग से घड़ियाँ प्रेम की बीतीं. 
ऐसा जख्म दिया साथी, ये जिंदगी है मुझसे रूठी........

Posted on April 20, 2011 at 8:00pm — 6 Comments

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:37pm on July 12, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

हार्दिक बधाई जन्म दिवस पर मित्र  संजय जी ...प्रभु आप के सारे प्यारे सपनों को साकार कर सुख शांति दे प्रगति के सोपान पर ले चले ..जय श्री राधे 

 
भ्रमर ५  .
At 6:12pm on July 12, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 1:17pm on July 12, 2011, Rash Bihari Ravi said…
janam din mubarak ho
At 7:39pm on June 20, 2011, Purushottam Gupta said…

Thanks a lot.

 

Purushottam Gupta

At 11:18am on April 12, 2011, Admin said…

Mr. Sanjay wahat is this "http://sanjay21gajana"


At 11:07pm on April 4, 2011,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…
बहुत बहुत शुक्रिया| आपको भी नवसंवत्सर की ढेरों शुभकामनाएं|
At 7:53pm on March 16, 2011, वीनस केसरी said…
जनाब, जर्रानवाजी के लिए शुक्रिया
At 6:36pm on March 3, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय संजय राजेंद्र प्रसाद यादव जी कृपया एक बार ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रकाशन सम्बंधित नियमों का अध्यन नीचे दिए लिंक पर जाकर कर ले, तथा उसी के अनुरूप रचनाओं को पोस्ट करने की कृपा करे |

धन्यवाद |

http://www.openbooksonline.com/page/5170231:Page:12658

At 5:29pm on January 12, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 6:57pm on January 8, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
9 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service