For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई चर्चा की सूचना मिली है, और इसी क्रम में उक्त चर्चा को आयोजन के पटल पर पढ़ा और देखा भी गया है, जिनका होना ओबीओ पटल की परम्परा के अनुरूप कत्तई नहीं है. ऐसे कथन, ऐसे वाक्य किसी तौर पर किसी सदस्य की आनुशासनिक-प्रवृति का बखान तो नहीं ही करते, ओबीओ पटल की गरिमा और इसकी मूलभूत अवधारणा की भी अवमानना करते हैं. 

ओबीओ के संचालन के लिए विशिष्ट परिपाटियाँ संयत हुई हैं जिसे ओबीओ-परम्परा के रूप में सभी सदस्य स्वीकारते हैं और उसी अनुरूप पटल पर व्यवहार भी करते आये हैं. ओबीओ गुरु-शिष्य, उस्ताद-शागिर्द की परम्परा के उच्च भावों का आग्रही है. इसी कारण, ओबीओ के पटल पर कोई व्यक्ति गुरु या उस्ताद नहीं होता या अन्यान्य सदस्य शिष्य या शागिर्द नहीं होते.

इस पटल पर गुरु या उस्ताद कोई है तो मात्र एक है - ओपन बुक्स ऑनलाइन का पटल अर्थात ओबीओ स्वयं..इस तथ्य को सभी पुराने सदस्य अच्च्छी तरह से जानते हैं. तथा यही सब कुछ नए सदस्यों से अपेक्षित है कि उन्हें जानना ही चाहिए. .

इस परिप्रेक्ष्य में टिप्पणियों के माध्यम से पोस्ट हुए निम्नलिखित उद्गार ओबीओ के पटल पर सदस्यों से अपेक्षित बर्ताव के विरुद्ध जाते हैं -

क. हम उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब के शागिर्द हैं
ख. सभी ओबीओ के सदस्यों ने जो सीखा है यहीं सीखा है उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब से
ग. अगर सच्चे मन से उस्ताद-ए-मुहतरम को गुरु माना होता तो आप सभी की गजलों का मैयार कुछ और ही होता
घ. सदस्य कार्यकारिणी होने के नाते तो धन्यवाद कहना चाहिए .. .. .. यह अहसान फ़रामोशी और नीचता नहीं तो और क्या है?

कुछ वाक्य तो निहायत ही घटिया स्तर के हैं, जिनका उल्लेख किया जाना तक असभ्यता की सीमा में आता है.

इस तरह के सवादों और वाक्यों का फिर तो अर्थ ही यही है, कि ऐसा कोई सदस्य पटल को एक ऐसे मंच की तरह व्यवहृत कर रहा है या इसके लिए प्रश्रय पा रहा है, जिसका आशय उसे व्यक्ति-विशेष की, या फिर अपनी, महत्ता को प्रतिस्थापित करना मात्र है. यदि कोई सदस्य किसी स्थान, किसी पटल या किसी व्यवस्था की परिपाटियों को बिना अपनाए कुछ भी कहता, या फिर करता है तो, या तो वह सदस्य अपने ढंग से अपने नजरिया को मात्र आरोपित करने का दुराग्रही है. या फिर, उसे इस पटल पर प्रश्रय देने वाले वरिष्ठ सदस्य ने पटल की परिपाटियों से उसे तनिक जानकार नहीं बनाया है. अवश्य ही, इसका कोई न कोई, कुछ न कुछ आशय अवश्य है. 
 
गजल के आयोजन के प्रमुख आदरणीय समर कबीर जी हैं, जिनके जुड़ाव को ओबीओ का पटल हृदयतल से स्वीकार करता है. उनकी शारीरिक अवस्था और इसकी सीमाओं को देखते हुए आदरणीय समर जी ओबीओ पटल के पर अपनी पहुँच बनाये रखने और इसके साथ अपने जुड़ाव को सतत रखने के लिए अपने स्तर पर कई तरह की व्यवस्थाओं और कई तरह के उपायों को करते रहते हैं. इसमें एक उपाय है, किसी नौजवान या किसी सदस्य को श्रुतिलेख के माध्यम से अपनी टिप्पणियों को पोस्ट करवाना.

पहले एक लम्बे समय तक उनका पुत्र ही इस कार्य के लिए आदरणीय समर कबीर जी का सहयोग करता था. इसकी चर्चा आदरणीय समर कबीर जी ने कई बार व्यक्तिगत बातचीत में मुझसे की भी थी. हाल ही में एक सदस्य ’इयूफोनिक अमित’ का भी उन्होंने मुझसे यह कह कर जिक्र किया था, कि वह उनकी वैचारिकता और उनकी सलाहों और उनके सुझावों को समझ पाता है, तथा उनकी अभिव्यक्तियों को पोस्ट कर पाता है.

इस बिना पर आदरणीय समर कबीर जी से स्पष्ट तौर पर पूछना बनता है, कि - 

 

क. इस सदस्य को प्रश्रय देने के क्रम में पटल की परिपाटियों और यहाँ के व्यावहारिक अनुशासन आदि को समझाना आपने कैसे उचित नहीं समझा ?

ख. हालिया सम्पन्न तरही मुशायरा आयोजन के दौरान उक्त सदस्य के निहायत भद्दे अनुशासनहीन व्यवहार और उसकी उच्छृंखल निरंकुश वाचालता और टिप्पणियों को वे कैसे नहीं रोक पाये ?
ग. आदरणीय समर कबीर जी से आखिर ऐसी चूक कैसे हो गयी ? 

हालिया सम्पन्न तरहे मुशायरा आयोजन के दौरान हुई ऐसी चर्चा को गंभीरता से लेते हुए ओबीओ प्रबन्धन ने सूचित किया है कि आयोजन के पटल से वैसी सभी टिप्पणियों को हटा दिया गया है जो ओबीओ पटल की गरिमा के विरुद्ध पोस्ट की गयी थीं.

.

विश्वास है, सभी सम्मनित सदस्य इस विषय पर अपनी बात रख कर इस पटल के वातावरण को सहज बनाने का प्रयास करेंगे. 


सादर
 

Views: 294

Reply to This

Replies to This Discussion

मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक सदस्यों की अनुपस्थित से हो रही हानि के विषय में कुछ लिखूँ । पर यह सोचकर कि अनुपस्थिति की सबकी अपनी विवशताएँ होंगी। पटल पर सुझाव देने , स्वीकार करने और अस्वीकर करने की स्थिति कारण सहित बताने की विनम्र परम्परा मैं देखता आया हूँ। पर इस बार कि टिप्पणियों ने मुझे भी आहत किया। मंच पर एक दूसरे का सम्मान बना रहे। जिसे हम ओबीओ परिवार कहते हैं वहां अभद्रता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 

ज्ञानी व्यक्ति के व्यवहार में नम्रता ही होनी चाहिए। मंच हम जैसों के लिए बहुत कुछ सीखने और कमियों में सुधार लाने का माध्यम है। 

सभी वरिष्ठों से अनुरोध है की मंच पर अपनी पहले सी उपस्थिति का प्रयास कर मंच को प्राणदान कर पहले सा महौल प्रदान करें। जब वरिष्ठजन अधिकतम उपस्थित रहेंगे तो महौल खराब होने की सम्भावना नहीं रहेगी। सादर...

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।

सभी साथियों को प्रणाम,

आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है। अच्छा है कि अन्य वरिष्ठ साथी भी इस पर अपने विचार रख रहें हैं। इस अवसर पर मैं इस विषय पर भी और विषयांतर से भी कुछ कहना चाहूँगा जिसका उद्देश्य केवल मंच का और मंच के माध्यम से मुझ जैसे अन्य शिक्षार्थियों का हित ही है।

1. अपने गुरु/उस्ताद के प्रति श्रद्धाभाव रखना अच्छी बात है। यदि अमित जी समर सर के प्रति प्रेम और निष्ठा प्रदर्शित करते हैं तो यह उनका व्यक्तिगत भाव है और इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हम सब भी समर साहब के प्रति असीम आदर और सम्मान का भाव रखते ही हैं और अपनी अपनी ग़ज़ल लेखन की यात्रा में उनके शुक्रगुज़ार भी हैं। ख़ुद वो बहुत लो-प्रोफाइल रहते हैं। जैसा नीलेश जी ने कहा कि समर जी स्वयं भी प्रचार से दूर ही रहते आए हैं। तो यह नहीं माना जा सकता कि इस सब में समर जी की कोई भूमिका है।

2. मैं यह मानता हूँ कि अमित भाई ने आवेश में जो शब्द प्रयोग किये वो अनुचित थे और वरिष्ठ या अन्य किन्ही भी सदस्यों के प्रति नहीं करने चाहिए। इस तरह भी भाषा अस्वीकार्य है। यद्यपि यह भी देखने की बात है कि अमित भाई इस आयोजन में अपनी भूमिका सशक्त ढंग से निभा रहे हैं। न केवल उपयोगी सुझाव दे रहे हैं अपितु बहुत ध्यान से हर ग़ज़ल को परखते हैं। शुद्धता के प्रति उनका विशेष आग्रह है (जो कईं बार स्वीकृती की सीमाओं को भी लांघ जाता है और उनके हठी स्वभाव के कारण दुराग्रह भी लगने लगता है)। उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की जानी चाहिए और उनका दृष्टिकोण समझना चाहिए और मंच की परिपाटियों से उन्हें परिचित करवाना चाहिए। इस बारे में प्रचलित और मान्य शब्दों को स्वीकार करने का एक नियम बनाया जा सकता है। जिसकी आवश्यकता आदरणीय गिरिराज जी ने लिखी है।

आदरणीय तिलक जी ने भी ग़ज़ल को लेकर उत्तम प्रतिक्रिया दी है। //ग़ज़ल मतलब सहीह और सही का अर्थ समझना भर नहीं है। बहुत से शब्द हैं जो हिंदी में जिस रूप में आ गए हैं, उसी रूप में आज की ग़ज़ल में प्रचलित हैं। भाषाई ज्ञान के ऐसे रूप से दूर रहना आवश्यक है जो भाषाई विवाद का विषय है।//

3. मंच के वरिष्ठ सदस्यों की अनुपास्थिती आयोजनों को सुचारु रूप से नहीं चलने दे रही। अनेक आयोजनों में तो आयोजकों की टिप्पणियाँ भी प्राप्त नहीं होतीं। क्या यह मंच की परिपाटी है? उनका नियमित आना मंच के लिए संजीवनी है।

4. लगभग दो साल पहले मैंने सदस्यों की राय जानने के लिए एक ब्लॉग पोस्ट लिखा था जिसमें मंच को बेहतर करने के अपने सुझाव प्रेषित किये थे। वो न तो कभी पब्लिश हुआ और आश्चर्यजनक रूप से मेरी पोस्ट्स में से भी गायब हो गया। जबकि उसमें दिए गए 8-9 बिंदुओं में से एक- व्हाटसएप्प का प्रयोग- क्रियान्वित किया गया।

5. आजकल आयोजनों के विषय देने तक में कितना विलंब होता है। इस महीने लघुकथा आयोजन की सूचना कब आई आप बेहतर जानते हैं। जबकि पहले कैलंडर 5-6 तारीख़ तक आ जाता था। इस बारे में भी सूचना समय पर आनी चाहिए। 

उपसंहार करते हुए मैं इतना ही कहूँगा कि अमित भाई योग्य हैं पर मंच के सदस्यों कि मर्यादा बनाए रखने का दायित्व भी योग्यता की श्रेणी में ही है, ये उन्हें समझना होगा। और अन्य आयोजनों/लेखों/कक्षाओं को लेकर भी कार्यकारिणी मण्डल इसी प्रकार चिंतन करता रहे, इसी में मंच का भला है।

धन्यवाद।

आदरणीय अजय जी
आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक संवाद को प्रोत्साहित करता आया है, संवाद को बड़बोलेपन को नहीं।किसी ने सहीह को सही या शुरूअ को शुरू लिख दिया, महब्बत को मुहब्बत लिख दिया तो इसका मतलब नहीं कि उसे जानकारी नहीं है। मेरे कहने का आशय यह है कि योग्यता और हठधर्मिता में फ़र्क होता है, और उद्दंडता इनसे भी अलग होती है। इस मंच पर और भी योग्य लोग हैं, मगर स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताकर दूसरों को अपमानित करना क्या सही है? भाषाओं के लिखने-बोलने पर हमेशा से बहस होती आई है, लेकिन अपनी बात मनवाने के लिए बदज़बानी करना किसी योग्य व्यक्ति की निशानी नहीं है। संकुचित हृदय और बेलगाम वाणी के साथ व्यक्ति कभी बड़ा नहीं बन सकता।

मंचासीन सभी सदस्यों को नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के महत्वपूर्ण विचार  जानने का अवसर इस विमर्श के माध्यम से जानने का अवसर प्राप्त हुआ! 

आप, सभी सम्मान के योग्य सदस्य गण एक बहुत महत्वपूर्ण  बात  को हमेशा नज़रअंदाज करते हैं कि भाषायी विवाद  का मूल हम सब की इस भूल में है कि उर्दू , मातृ भाषा हिन्दी से कोई  स्वतंत्र अस्तित्व रखती है। उर्दू के  प्रति अतिरिक्त अनुराग के होते, पूज्य आदरणीय समर कबीर  साहब और, आ.अमित Euphonic,  दोंनो महानुभाव  न केवल मातृ भाषा हिन्दी को ग़ज़ल हेतु हेय मानते हैं। जब कि स्थापित  सत्य यह है कि उर्दू मात्र मातृ भाषा हिन्दी की एक बोली जिसका व्याकरण अन्तत: मातृभाषा हिन्दी से ही तय होता है।

स्मरण रहे, माननीय नीलेश शेवगांवकर 'नूर' साहब और, आदरणीय भाई  श्री अमित Euphonic के मध्य  विवाद और 'तू तू मैं मैं' की शुरुआत इसी अनजाने तथ्य  के कारण  हुई  थी। 

सादर!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
59 minutes ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
5 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय रवि शुक्ला जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar updated their profile
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service