साथियों,
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आदरणीय संतोष जी, आपकी इस ग़ज़ल पर दाद कह रहा हूँ. अभ्यासरत रहें.
शुभ-शुभ
अच्छी ग़ज़ल हुई है आद० संतोष जी बहुत बहुत बधाई
आदरणीय संतोष जी, उम्दा गजल।
आदरणीय संतोष जी ...खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेर सारी मुबारकबाद कबूल कीजिये|
सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय संतोष जी | हार्दिक बधाई |
आदरणीय संतोष जी, अच्छी ग़ज़ल हुईं है.हार्दिक बधाई
आ० संतोष जी खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार करें
आद0 संतोष खैरवाड़कर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन अशआर से सजी खूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई आपको
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल, पूरी ग़ज़ल पर मकता भारी है, बधाई आपको आदरणीय संतोष खिरिवाडकर जी.
आइना यूं दिखा गया है मुझे
कोई ख़ुद से मिला गया है मुझे
मेरे चेहरे को चांद कह कर वो
आसमां पर सजा गया है मुझे
राज़ दिल के निगाहों से कोई
सरे महफ़िल बता गया है मुझे
जिसकी खातिर सुलग के राख हुई
ठोकरों से उड़ा गया है मुझे
कौन ये रात के अंधेरे में
चांद सा जगमगा गया है मुझे
ख़्वाब पर नाम लिखा था जिसका
नींद से वो उठा गया है मुझे
छेड़ कर तार मेरे दिल के वो
गीत सा गुनगुना गया है मुझे
संगदिल से लगा के दिल अपना
सब्र करना तो आ गया है मुझे(गिरह)
है मुहब्ब्त भी कैसा खेल 'सिफ़र'
हार कर वो हरा गया है मुझे
मौलिक एवं अप्रकाशित
अंजलि 'सिफ़र'
मोहतरमा अंजली गुप्ता जी आदाब ,
ग़ज़ल के उम्दा प्रयास के लिए मुबारक बाद
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